प्रतिनिधि, हुगली.
जिले में तारकेश्वर व कोन्नगर के राजराजेश्वरी, महानाद काली मंदिर, चंदननगर के बोड़ाई चंडी मंदिर, बांसबेड़िया के हंसेश्वरी मंदिर जैसे कई ऐसे मंदिर हैं, जो विख्यात हैं. पितृपक्ष के पहले दिन ही चंद्र ग्रहण का सूतक लगने पर मंदिरों के कपाट बंद कर दिये गये. चंद्र ग्रहण का मोक्ष होने के बाद ये कपाट वापस मंदिरों की साफ-सफाई के बाद खोल दिये गये और देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की गयी.
राजराजेश्वरी मंदिर के मुख्य प्रभारी ब्रह्मचारी सच्चित स्वरूप महाराज ने बताया कि इस बार पितृपक्ष के दिन चंद्र ग्रहण लगा है और समापन अमावस्या के दिन हुआ. सनातन धर्म में ग्रहण का बहुत महत्व है. ग्रहण काल में अपने ईष्ट देव की पूजा का विधान है. इससे हमें कृपा प्राप्त हो जाती है. आप ग्रहण में जो मंत्र जाप करते हैं, वे तत्काल सिद्ध हो जाते हैं.
उपप्रभारी श्रीधर द्विवेदी ने बताया कि शनिवार को भगवान गणेश का विसर्जन हुआ और अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा हुई. हालांकि, शनिवार से पितृपक्ष शुरू हो गया, लेकिन हमें लगन और सात्विक भाव से पूर्वजों को याद करना चाहिए. उनकी कृपा से ही हमें मनुष्य जीवन प्राप्त हुआ है.
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