कोलकाता. दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप के गंगाधरपुर के निवासी व दिव्यांग भारतीय मछुआरे बाबुल दास उर्फ बोबा की बांग्लादेश जेल में संदिग्ध हालत में मौत हो गयी थी. आखिरकार का प्रशासन के प्रयास के कारण उसका शव काकद्वीप स्थित उसका घर लाया जा सका. बाबुल की मौत को लेकर परिवार ने गंभीर आरोप लगाया है. बांग्लादेश की जेल में हिरासत के दौरान 15 नवंबर को हुई उसकी मौत को परिवार ‘रहस्यमयी’ बता रहा है. प्रशासन के अनुसार, बाबुल की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, लेकिन परिवार का दावा है कि उन्हें जेल में यातना देकर मार दिया गया. 13 जुलाई को भारतीय ट्रॉलर ‘एफबी मंगलचंडी–38’ और ‘एफबी झड़’ अनजाने में भारत–बांग्लादेश समुद्री सीमा पार कर गये थे, जिसके बाद बांग्लादेश नौसेना ने दोनों ट्रॉलर जब्त कर लिये. उनमें कुल 34 मछुआरे थे. बाबुल ‘मंगलचंडी’ ट्रॉलर पर सवार था. मंगला पोर्ट थाने में मामला दर्ज होने के बाद सभी को जेल भेजा गया. परिवार को 15 नवंबर को मौत की सूचना मिली. शव को भारत लाने के लिए परिवार ने काकद्वीप के विधायक मंटूराम पाखिरा से संपर्क किया. मामला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने भी रखा गया. भारतीय उच्चायोग, सुंदरबन मछुआरे संगठन और ट्रॉलर मालिक के परिजन के प्रयासों के बाद करीब दस दिन में शव भारत लाया जा सका. मंगलवार रात पेट्रापोल सीमा पर कफनबंद शव परिवार के हवाले किया गया. परिवार का कहना है कि बाबुल दिव्यांग था और उसको प्रताड़ित किया गया. उन्होंने बांग्लादेश सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है.
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