संवाददाता, कोलकाता.
जहरीली शराब मामले की धीमी गति से चल रही सुनवाई पर बनगांव जिला कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. आरोप है कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण अदालत में पब्लिक प्रोसेक्यूटर की नियुक्ति नहीं हो रही है. इस मामले की सुनवाई के दौरान ही बनगांव कोर्ट ने जिला प्रशासन को आड़े हाथों लिया है. बताया गया है कि करीब 14 साल पहले के जहरीली शराब की बिक्री से जुड़े एक मामले में कोर्ट ने पिछले पांच साल में कई बार विशेष लोक अभियोजन (पीपी) की नियुक्ति का आदेश दिया है, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं हुई है. इसे लेकर बनगांव के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रदीप कुमार अधिकारी ने उत्तर 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका पर नाराजगी जताते हुए उनसे जवाब-तलब किया है. कोर्ट ने डीएम से पूछा है कि लंबित मामले को हाइकोर्ट क्यों नहीं ””””रेफर”””” कर दिया जाये? साथ ही कोर्ट ने उत्तर 24 परगना के जिला मुख्य जज और राज्य के मुख्य सचिव को भी इस बारे में सूचित करते हुए पीपी नियुक्त करने का आखिरी मौका दिया है.
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में बनगांव पुलिस ने जहरीली शराब बेचने के आरोप में वैद्य मंडल नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने उसके खिलाफ आइपीसी की धारा 272, 273 और आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था. लेकिन 14 साल बाद भी बनगांव कोर्ट में मामले का निपटारा नहीं हो सका है. हालांकि 2020 में सिर्फ एक गवाह का बयान दर्ज किया गया, लेकिन सरकारी वकील की कमी के कारण ट्रायल प्रक्रिया ठप है. इसके बाद 2020 में कोर्ट ने इस केस के लिए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति का आदेश दिया था. लेकिन कुछ नहीं हुआ. इसके पश्चात 2023, 2024, 2025 में बार-बार आदेश देने के बावजूद कोई पीपी नियुक्त नहीं किया गया. अब इस मामले में बनगांव कोर्ट ने पीपी नियुक्त करने के लिए अंतिम मौका दिया है और कहा है कि अगर जल्द ही पीपी की नियुक्ति नहीं की गयी तो मामले को हाइकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया जायेगा.
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