नियुक्ति प्रक्रिया के एक बार फिर अधर में लटकने की आशंका कोलकाता. पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएससीसी) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नयी अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन इसमें कई खामियां बतायी जा रही हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा जारी इस अधिसूचना को अदालत में चुनौती दी जा सकती है, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया एक बार फिर अधर में लटक सकती है. यह अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में 25,753 शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों को रद्द किये जाने के बाद जारी की गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 31 मई के अंदर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था. अधिसूचना में मुख्य बदलाव और आपत्तियां : नयी अधिसूचना के अनुसार, लिखित परीक्षा के लिए अब कुल 60 अंक निर्धारित किये गये हैं, जबकि 2016 की पैनल प्रणाली में यह संख्या 55 थी. शैक्षणिक योग्यता को मिलने वाले वेटेज को घटाकर अब मात्र 10 अंक कर दिया गया है, जो पहले 35 अंक था. इसके अलावा, दो नये मापदंड जोड़े गये हैं – पूर्व शिक्षण अनुभव और ””लेक्चर डेमो. दोनों को 10-10 अंक दिये गये हैं. विशेषज्ञों और नेताओं की आपत्ति राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि इन नये मापदंडों को जोड़ने का उद्देश्य 2016 के उन शिक्षकों को लाभ पहुंचाना है, जिनकी नौकरी रद्द हो चुकी है. उन्होंने कहा कि यह बदलाव न सिर्फ नये उम्मीदवारों के लिए नुकसानदायक है, बल्कि यह पूरी प्रक्रिया को कानूनी रूप से संदिग्ध बनाता है. भट्टाचार्य ने समान प्रक्रिया और समान वेटेज लागू करने की वकालत करते हुए कहा कि इन बदलावों से भ्रष्टाचार के रास्ते खुलते हैं. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने भी अधिसूचना में जानबूझकर की गयी खामियों की ओर इशारा किया. उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के नेता इन खामियों का फायदा उठाकर नौकरी के नाम पर पैसे वसूलना चाहते हैं. अधिकारी ने यह भी कहा कि यदि यह अधिसूचना कोर्ट में चुनौती दी जाती है और प्रक्रिया रुकती है, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करेंगी और कोर्ट में चुनौती देने वालों को दोषी ठहरायेंगी.
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