कोलकाता. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से आगामी एक दिसंबर को राज्य सचिवालय नबान्न भवन में लोकायुक्त कमेटी की बैठक बुलायी गयी है, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करेंगी. हालांकि, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठक के लिए राज्य सरकार के आमंत्रण को ठुकरा दिया, और उनके प्रशासन पर खून से सना होने का आरोप लगाया. गौरतलब है कि श्री अधिकारी पिछले साढ़े चार वर्ष से राज्य सरकार की विभिन्न बैठकों का बहिष्कार करते आये हैं. बताया गया है कि एक दिसंबर को राज्य सचिवालय में होने वाली यह बैठक सीएम के नेतृत्व में होने वाले सालाना इंस्टीट्यूशनल रिव्यू का हिस्सा है. स्थापित परंपरा के अनुसार, विपक्ष के नेता को लोकायुक्त कमेटी के सदस्य के रूप में बुलाया जाता है. लेकिन 2021 में विपक्ष का नेता बनने के बाद से श्री अधिकारी ऐसी हर मीटिंग का बहिष्कार करते आये हैं. इस सबंध में श्री अधिकारी ने शुक्रवार को संवाददाता से बातचीत में कहा कि वह लोकायुक्त की मीटिंग में शामिल नहीं होंगे. मैं ऐसे मुख्यमंत्री के साथ बैठक नहीं करूंगा, जो एक भ्रष्ट सरकार चला रही हैं. उन्होंने मालदा में भाजपा सांसद खगेन मुर्मू पर हाल ही में हुए हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि अपनी पार्टी के सांसद को खून से लथपथ देखने के बाद, कोई भी समझदार इंसान उन लोगों के बगल में नहीं बैठ सकता, जिनके हाथ भाजपा कार्यकर्ताओं के खून से सने हों. उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए मुस्कुराना नामुमकिन है. उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी की कैबिनेट के सदस्य पार्थ चटर्जी, ज्योतिप्रिय मलिक और कई विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को चार्जशीट पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि अगर मुख्य सचिव मनोज पंत को दिसंबर में एक्सटेंशन नहीं मिलता है, तो वह अचानक ह्यूमन राइट्स कमीशन में दिख सकते हैं. इस तरह संविधान का मज़ाक उड़ाया जा रहा है.
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