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बीएलओ के साथ दुर्व्यवहार पर तुरंत एफआइआर दर्ज करायें : आयोग

चुनाव आयोग ने बीएलओ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी डीईओ को आदेश दिया है कि बीएलओ के साथ दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ तुरंत एफआइआर दर्ज करायें. बताया जा रहा है कि सीईओ मनोज अग्रवाल ने इस संबंध में पहले ही डीजी को पत्र दिया है.

कोलकाता.

चुनाव आयोग ने बीएलओ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी डीईओ को आदेश दिया है कि बीएलओ के साथ दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ तुरंत एफआइआर दर्ज करायें. बताया जा रहा है कि सीईओ मनोज अग्रवाल ने इस संबंध में पहले ही डीजी को पत्र दिया है. पत्र में लिखा गया है कि एसआइआर का काम करने के दौरान बीएलओ और चुनाव अधिकारियों के साथ ड्यूटी के दौरान कई जगहों पर दुर्व्यवहार किया जा रहा है.

आयोग के पास इस तरह की शिकायतें मिली हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए डीईओ को यह निर्देश दिया गया है. मालूम रहे कि गुरुवार को दक्षिण 24 परगना के फलता में पर्यवेक्षक सी मुरुगन के साथ तृणमूल कांग्रेस के महिला कार्यकर्ताओं ने दुर्व्यवहार किया था.

बीएलओ के एप में जोड़ा गया नया ऑप्शन हटाया

एसआइआर के अंतिम दिन चुनाव आयोग द्वारा बीएलओ के ऐप में नया ऑप्शन जोड़ा गया था. इस ऐप के जरिये बीएलओ को मतदाताओं की तस्वीर और दस्तावेजों का सत्यापन करना था. इसके विरोध में शुक्रवार को बीएलओ के एक वर्ग ने सीइओ कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था. बताया जा रहा है कि आयोग ने बीएलओ के ऐप से इस नये ऑप्शन को हटा लिया है. मालूम रहे कि शुक्रवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपने एक्स हैंडल पर बीएलओ की सुरक्षा को लेकर एक पोस्ट किया था. उन्होंने लिखा था कि बीएलओ को किसी भी तरह से धमकी न मिले और वे निडर होकर काम करें.

फर्जी वोटरों के नाम कटने से ममता चिंतित : दिलीप

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद दिलीप घोष ने कहा कि ममता बनर्जी हमेशा धमकाती रहती हैं. उनकी धमकी के कारण कई बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) आत्महत्या कर रहे हैं. ममता बनर्जी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को धमकाती हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक तकरीबन 58 लाख फर्जी मतदाताओं को सूची से हटाया जा चुका है. भाजपा नेता ने कहा कि फाइनल सूची में लगभग इतने और फर्जी मतदाताओं के नाम हटेंगे. इसी से ममता बनर्जी डरी हुई हैं और दूसरों को भी डरा रही हैं. लेकिन राज्य के लोग जागरूक हैं. सत्तापक्ष की तरफ से भ्रमित करने के बावजूद लोगों ने फॉर्म जमा किये हैं. संसद परिसर में कथित तौर पर तृणमूल सांसद द्वारा ई-सिगरेट पीने वाले विवाद पर दिलीप घोष ने कहा कि ये तृणमूल की संस्कृति है. संवैधानिक पदों पर रहे लोगों का अपमान करना, हाइकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग का सम्मान न करना, कानून के खिलाफ काम करना. एक सांसद इस तरह कैसे व्यवहार कर सकता है? पश्चिम बंगाल में यह संस्कृति भ्रष्ट हो चुकी है और ये पूरे देश को नुकसान पहुंचा रही है. इनकी भाषा और व्यवहार अत्यंत निंदनीय है.

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