कहा- केंद्रीय नीतियों से राज्य का मध्यम वर्ग खुशहाल
संवाददाता, कोलकाता.
बालुरघाट से भाजपा विधायक और भारत सरकार के पूर्व चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ अशोक कुमार लाहिड़ी ने पश्चिम बंगाल की मौजूदा इकोनॉमिक स्थिति पर सोमवार को संवाददाताओं से मुखातिब हुए. भाजपा के सॉल्टलेक स्थित पार्टी कार्यालय में डॉ अशोक कुमार लाहिड़ी ने संवाददाता सम्मेलन करते हुए राज्य का आर्थिक स्थिति पर चर्चा की. डॉ लाहिड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के नेता व मंत्री इस बार-बार केंद्र सरकार पर आर्थिक वंचना का आरोप लगाते हैं. उन्होंने कहा कि लोकसभा में इस संबंध तृणमूल की ओर से सवाल उठाया गया था, जिसका जवाब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दिया था. केंद्रीय मंत्री सदन में बताया था कि मोदी सरकार की इकोनॉमिक पॉलिसी से पश्चिम बंगाल के मध्यम वर्ग को कैसे फायदा पहुंच रहा है. डॉ लाहिड़ी ने केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के बयानों का हवाला देते हुए बताया कि असेसमेंट ईयर 2021-22 के अनुसार इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) 44.43 लाख, 2022-23 के अनुसार 47.22 लाख, 2023-24 के अनुसार 50.83 लाख और 2024-25 के अनुसार पश्चिम बंगाल में 52.99 लाख था. उन्होंने आगे कहा कि असेसमेंट ईयर 2024-25 में राज्य में आइटीआर भरने वालों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी है, क्योंकि मिडिल क्लास को राहत देने के लिए मोदी सरकार ने टैक्सेबल इनकम को बढ़ाकर 12 लाख प्रति वर्ष कर दिया है.
डॉ अशोक कुमार लाहिड़ी ने बताया कि पश्चिम बंगाल की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती घोटाले से जहां छात्र पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं, जो शिक्षक कार्यरत हैं, उन्हें वेतन या महंगाई भत्ता (डीए) नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में पश्चिम बंगाल का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में हिस्सा 3.14% था, जो फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में 2.89% हो जायेगा. कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों में डायरेक्ट टैक्स का कलेक्शन तुलनात्मक रूप से बढ़ा है. इसके लिए उन्होंने दो कारण बताये. पहला- पश्चिम बंगाल सरकार क्लबों और कार्निवल पर पैसे खर्च कर रही हैं और दूसरा- वेलफेयर स्कीमों का गलत इस्तेमाल हो रहा है. विकास पर जोर नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने सवाल किया कि जिन महिलाओं को लक्खी भंडार का पैसा मिल रहा है, क्या वे सच में गरीब तबके से हैं? उन्होंने यह भी कहा कि मिडिल क्लास ऐसे प्रोडक्ट्स पर खर्च कर रहा है, जो असल में पश्चिम बंगाल में बनते ही नहीं हैं. वेलफेयर स्कीमों का पैसा बढ़ाकर लोगों का ध्यान भटकाया जा रहा है.
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