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आंदोलनकारी शिक्षक बदलें अपना प्रदर्शन स्थल: हाइकोर्ट

कलकत्ता हाइकोर्ट ने प्रदर्शनकारी शिक्षकों व गैर शिक्षण कर्मचारियों को जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शन स्थल बदलने के लिए कहा है.

संवाददाता, कोलकाता

कलकत्ता हाइकोर्ट ने प्रदर्शनकारी शिक्षकों व गैर शिक्षण कर्मचारियों को जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शन स्थल बदलने के लिए कहा है. साथ ही अदालत ने प्रदर्शनकारियों की संख्या को सीमित करते हुए कहा है कि एक समय में 200 से अधिक लोग प्रदर्शन के लिए न जुटें.

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित व सहायता प्राप्त स्कूलों के इन शिक्षकों व गैर शिक्षण कर्मचारियों को नियुक्ति में गड़बड़ियों को लेकर आये सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है. इसके बाद से ये लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने विरोध प्रदर्शन के आयोजक ‘डिजर्विंग टीचर्स राइट्स फोरम’ और राज्य सरकार की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्रदर्शनकारियों को सॉल्टलेक स्थित सेंट्रल पार्क में जाने को कहा है. यह पार्क राज्य के शिक्षा विभाग के मुख्यालय विकास भवन के सामने स्थित है.

अदालत ने विधाननगर नगर निगम को नये विरोध स्थल पर पेयजल और जैव-शौचालय सुविधाओं समेत आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया. न्यायाधीश ने कहा: पुलिस और फोरम के सदस्य आपसी सहमति से अतिरिक्त प्रदर्शनकारियों के भाग लेने के बारे में निर्णय लेंगे. उन्होंने कहा कि फोरम को ऐसे परामर्श के लिए अधिकृत 10 सदस्यों की सूची उपलब्ध करानी होगी.भीषण गर्मी को देखते हुए अदालत ने राज्य को मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी.

न्यायमूर्ति घोष ने कहा: यदि संभव हो तो प्रशासन को प्रदर्शनकारियों के लिए अस्थायी आश्रयों की व्यवस्था करनी चाहिए. यह देखते हुए कि 15 मई को आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद किसी भी अप्रिय घटना की कोई शिकायत नहीं मिली है, अदालत ने पुलिस को घटना के संबंध में सभी आरोपियों पर धीमी गति से कार्रवाई करने का निर्देश दिया.

पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को 15 मई की घटना को लेकर जारी किये गये कारण बताओ नोटिस से संबंधित कार्रवाई करने से परहेज करने का निर्देश दिया गया. मामले की अगली सुनवाई चार जुलाई को तय की गयी है.फोरम के प्रतिनिधियों के रूप में अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर नौकरी खो चुके दो शिक्षकों ने कहा कि वे केवल जनता के सामने अपनी बात रखने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि विरोध प्रदर्शन शुरू से ही शांतिपूर्ण रहा है और 15 मई या किसी अन्य तिथि को किसी भी आंदोलनकारी ने किसी भी तरह का उपद्रव नहीं मचाया.

इससे पहले, राज्य सरकार ने एक आवेदन दायर कर विकास भवन के सामने से विरोध प्रदर्शन को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था. आवेदन में प्रदर्शनों के कारण लोगों की आवाजाही और सरकारी कर्मचारियों को होने वाली परेशानी का हवाला दिया गया था.

बुधवार को अदालत के मौखिक निर्देश के बाद दो याचिकाकर्ता पुलिस के सामने पेश हुए थे. उनके वकील ने पीठ को इस बारे में सूचित किया.

न्यायमूर्ति घोष ने मौखिक रूप से राज्य को सुदीप कोनार और इंद्रजीत मंडल के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई न करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने 15 मई को हुई झड़प के बाद जारी पुलिस नोटिस को चुनौती दी थी. राज्य के वकील ने अदालत को बताया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई घटनाओं के संबंध में 15 लोगों को नोटिस भेजे गये हैं. प्रदर्शनकारियों ने 15 मई की शाम को पुलिस लाठीचार्ज के दौरान चोट लगने का आरोप लगाया, जबकि कानून लागू करने वाले अधिकारियों ने दावा किया कि टकराव के दौरान उनके भी कई कर्मचारी घायल हुए.

उच्चतम न्यायालय ने अनियमितताओं का हवाला देते हुए इस साल अप्रैल में 2016 की भर्ती परीक्षा को अमान्य करार दिया था, जिसके बाद लगभग 26,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा था.

क्या कहा हाइकोर्ट ने

न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने शिक्षकों से कहा कि अदालत उनसे आंदोलन रोकने के लिए नहीं कह रही, बल्कि केवल जनता की सुविधा के लिए प्रदर्शन स्थल बदलने के लिए कह रही है. न्यायमूर्ति घोष ने कहा: हर किसी को शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है और अदालत को इस बारे में कुछ नहीं कहना है. उन्होंने कहा कि अदालत केवल जनता को होने वाली असुविधा को लेकर चिंतित है.

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