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बंगाल के गौरव अवनींद्रनाथ का ‘धरोहर’ घर ध्वस्त

चित्रकार अवनींद्रनाथ टैगोर के जिस घर को ‘धरोहर’ घोषित किया जा चुका था, उसे लगभग ध्वस्त करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्रशासन अब कार्रवाई करेगा. अवनींद्रनाथ टैगोर ने 19वीं सदी में शांतिनिकेतन में बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. बोलपुर नगरपालिका की अध्यक्ष पर्ण घोष ने मंगलवार को बताया कि ‘आवास’ नामक इस संपत्ति के वर्तमान मालिक को नगर निकाय द्वारा पहले ही नोटिस दिया गया था कि वे निर्माण में किसी भी तरह की छेड़छाड़ न करें. इसके बावजूद, मालिक ने एक रियल एस्टेट डेवलपर को काम पर लगाया और इमारत के बड़े हिस्से को ढहा दिया.

कोलकाता.

चित्रकार अवनींद्रनाथ टैगोर के जिस घर को ‘धरोहर’ घोषित किया जा चुका था, उसे लगभग ध्वस्त करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्रशासन अब कार्रवाई करेगा. अवनींद्रनाथ टैगोर ने 19वीं सदी में शांतिनिकेतन में बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. बोलपुर नगरपालिका की अध्यक्ष पर्ण घोष ने मंगलवार को बताया कि ‘आवास’ नामक इस संपत्ति के वर्तमान मालिक को नगर निकाय द्वारा पहले ही नोटिस दिया गया था कि वे निर्माण में किसी भी तरह की छेड़छाड़ न करें. इसके बावजूद, मालिक ने एक रियल एस्टेट डेवलपर को काम पर लगाया और इमारत के बड़े हिस्से को ढहा दिया.

बीरभूम जिले में शांतिनिकेतन बोलपुर नगरपालिका के अंतर्गत आता है. घोष ने कहा कि हम ‘आवास’ के जो भी अवशेष बचे हैं, उनकी रक्षा करेंगे. हम उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जिन्होंने नगर पालिका द्वारा दिये गये नोटिस की अनदेखी करते हुए तोड़फोड़ की है. ध्वस्त संपत्ति से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें घर का केवल द्वार ही बचा दिख रहा है, जिस पर ‘आवास’ नाम अब भी बरकरार है.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने की दोषियों पर कार्रवाई की मांग

इस घटना पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कटाक्ष करते हुए कहा कि शांतिनिकेतन में विश्वविख्यात चित्रकार और प्रख्यात लेखक अवनींद्रनाथ टैगोर का घर ध्वस्त कर दिया गया है. उन्होंने इसे अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताते हुए कहा कि यह न केवल एक कलाकार की स्मृति का विनाश है, बल्कि पूरे बंगाली राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना पर हमला भी है. मजूमदार ने याद दिलाया कि ये वही अवनींद्रनाथ टैगोर हैं, जिनकी बनायी ‘भारत माता’ की छवि ने हमारी राष्ट्रीय पहचान को आकार दिया. वह स्वयं विश्व कवि रवींद्रनाथ टैगोर के रिश्तेदार और भारतीय राष्ट्रवादी कला के अग्रदूतों में से एक हैं. मजूमदार ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सिर्फ एक घर का विध्वंस नहीं, बल्कि इतिहास का विनाश, एक स्मृति का अपमान और सबसे बढ़कर बंगाली साहित्य की पहचान को मिटाने का प्रयास है. उन्होंने यह भी कहा कि यह अक्षम्य घटना न केवल शर्मनाक है, बल्कि पूरे बंगाली राष्ट्र के लिए अपमानजनक भी है.

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