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32 हजार नियुक्तियां हुईं रद्द, तो बाकी का क्या होगा : हाइकोर्ट

राज्य के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति में हुए भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सीबीआइ की जांच की प्रगति पर सवाल उठाया.

संवाददाता, कोलकाता

राज्य के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति में हुए भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सीबीआइ की जांच की प्रगति पर सवाल उठाया. मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि राज्य में नियुक्ति भ्रष्टाचार से संबंधित सभी मामलों की जांच सीबीआइ और ईडी कर रही है. ये जांच एजेंसियां एसएससी के साथ-साथ प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में हुए भ्रष्टाचार मामलों की भी जांच कर रही है. इसके बाद ही न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने सवाल उठाते हुए कहा : हममें से कोई नहीं जानता कि यह जांच कब समाप्त होगी?

न्यायाधीश ने कहा कि इस जांच के पूरा होने के बाद ही यह स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि यह भ्रष्टाचार किसने किया और इस गिरोह में कौन शामिल हैं. इसके साथ ही न्यायाधीश ने सवाल उठाया कि यह कैसे साबित होगा कि नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने वाले लोग भी इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं? इस पर याचिकाकर्ता के वकील तरुण ज्योति तिवारी ने कहा कि जो इस नियुक्ति प्रक्रिया में लाभार्थी हैं, उनमें से ही कुछ लोग ऐसे हैं, जो भ्रष्टाचार में शामिल हैं और जिसकी जांच चल रही है.

याचिकाकर्ता के वकील सौम्या मजूमदार ने आरोप लगाया कि प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने नियमों के अनुसार पैनल प्रकाशित नहीं किया. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने बोर्ड से पूछा कि क्या पैनल प्रकाशित करने के लिए भी कोई विशिष्ट नियम है. इस पर बोर्ड के वकील ने कहा कि नियमों में इस प्रकार का कोई विशेष उल्लेख नहीं है. यह सुनकर न्यायाधीश ने कहा कि इसका मतलब है कि बोर्ड अपनी पसंद के अनुसार पैनल प्रकाशित कर सकता है. याचिककर्ता के वकील ने कहा कि अगर प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए अलग-अलग पैनल नहीं बनाये गये, तो प्रशिक्षित शिक्षकों को किस आधार पर प्राथमिकता मिलेगी? न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने पूछा कि अगर अदालत अभी 32,000 अप्रशिक्षित शिक्षकों की नौकरियां रद्द कर देती है, तो क्या शेष प्रशिक्षित शिक्षकों की नौकरियां रद्द हो जायेंगी, उनकी नौकरी का क्या होगा? क्योंकि वे भी उसी नियुक्ति प्रक्रिया का हिस्सा हैं. इस मामले में उन्हें भी शामिल करके उनकी बात सुनी जानी चाहिए. इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि पैनल का पुनर्गठन और पुनः प्रकाशन आवश्यक है, तभी प्रशिक्षित व अप्रशिक्षित शिक्षकों के बारे में पता चल पायेगा. हालांकि, न्यायाधीश ने सवाल उठाया : यह कैसे संभव है? जहां 1,25,000 आवेदक, 42,000 नौकरी पाने वाले, इतने सारे परिवार जुड़े हुए हैं.

मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने एक और मुद्दे का भी जिक्र करते हुए कहा कि उस पैनल में कार्यरत लोगों ने पांच साल की सेवा पूरी कर ली है. अगर मामला और दो साल चलता है, तो वे सात साल पूरे कर लेंगे. इस तरह, वे ग्रेच्युटी के एक हिस्से के लिए पात्र माने जायेंगे. फिर इस समस्या का समाधान क्या होगा? हाइकोर्ट ने मंगलवार को इस बारे में कोई फैसला नहीं सुनाया, मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी.

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