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चार दिनों में 21 शिशुओं की मौत

मालदा : मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में फिर से 21 शिशुओं की मौत हो गयी है. पिछले चार दिन में ये मौतें हुई हैं. अचानक शिशुओं की मौत का सिलसिला बढ़ जाने से जिला स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गयी है. स्वास्थ्य विभाग की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने मालदा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से रिपोर्ट […]

मालदा : मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में फिर से 21 शिशुओं की मौत हो गयी है. पिछले चार दिन में ये मौतें हुई हैं. अचानक शिशुओं की मौत का सिलसिला बढ़ जाने से जिला स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गयी है. स्वास्थ्य विभाग की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने मालदा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी है. स्वास्थ्य मंत्री द्वारा रिपोर्ट तलब ने मालदा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को भी हिला दिया है.
मृत बच्चों की उम्र एक दिन से छह महीने के बीच है. हालांकि मौत का कारण साफ नहीं हो पा रहा है. इन बच्चों के अभिभावकों की एक ही शिकायत है कि अस्पताल में भरती किये जाने के बाद बच्चों की ठीक से चिकित्सा नहीं की जा रही है. एक बेड पर दो से तीन बच्चों का इलाज हो रहा है. हरिशचंद्रपुर थाना क्षेत्र के तालबांगरुआ गांव के रहनेवाले मुरशेद शेख ने बताया कि बुधवार को वह अपनी तीन महीने की बच्ची को अस्पताल में भरती कराया था. उसका बुखार कम नहीं हा रहा था. सांस लेने में भी उसे तकलीफ हो रही थी. चिकित्सकों से उन्होंने पूछा था कि उनकी बच्ची को क्या हुआ है, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें कुछ नहीं बताया. गुरुवार सुबह उनकी बच्ची मर गयी. परिजनों का कहना है कि दवा से लेकर हर चीज बाहर से खरीदनी पड़ रही है.
हालांकि, शिशु विभाग के प्रमुख नेपाल महापात्र ने बताया कि पहले के आंकड़ों के तहत मालदा मेडिकल कॉलेज में शिशुओं की मृत्यु कम हुई है. परिजनों में अस्वस्थ बच्चों को घर में नहीं रख कर मेडिकल कॉलेज लाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का ढांचागत विकास हो रहा है. इसलिए यहां बेड खाली नहीं रहती हैं. बाध्य होकर एक बेड पर दो-तीन बच्चों का इलाज किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि समस्या इस बात की है कि बाहर से बच्चों को नाजुक स्थिति में लाया जा रहा है. चिकित्सक आखिर तक बच्चों को स्वस्थ करने की कोशिश कर रहे हैं.कभी कभी चिकित्सकों का प्रयास विफल हो रहा है.
क्या कहा वाइस प्रिंसिपल ने
मालदा मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल एमए राशिद ने कहा कि बच्चों की मौत के पीछे चिकित्सकीय लापरवाही नहीं है. ज्यादातर कम वजन के अस्वस्थ बच्चों को नाजुक हालत में लाया जा रहा है. कुछ बच्चों को सांस की तकलीफ भी थी. उन्होंने बताया कि बीते 72 घंटे में 13 शिशुओं की मौत हुई है. इसमें चिंता की बात नहीं है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि रोजाना दो से तीन बच्चे विभिन्न कारणों से मर सकते हैं. हालांकि यह देखना जरूरी है कि बच्चों के मौत के पीछे कोई लापरवाही है या नहीं. शिशुओं की मौत की रिपोर्ट को कोलकाता स्वास्थ्य भवन में भेजा गया है.

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