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15 साल बाद बंगाल विस में पहुंची भाजपा

कोलकाता : देश के दूसरे राज्यों में विधानसभा उपचुनाव में भले ही भाजपा को निराशा हाथ लगी है, लेकिन पार्टी ने पश्चिम बंगाल में शानदार परिणाम हासिल किया है. भाजपा उत्तर 24 परगना की बशीरहाट दक्षिण सीट पर जीत हासिल करने के साथ चौरंगी विधानसभा क्षेत्र में दूसरे स्थान पर रही. चौरंगी सीट बचाने में […]

कोलकाता : देश के दूसरे राज्यों में विधानसभा उपचुनाव में भले ही भाजपा को निराशा हाथ लगी है, लेकिन पार्टी ने पश्चिम बंगाल में शानदार परिणाम हासिल किया है. भाजपा उत्तर 24 परगना की बशीरहाट दक्षिण सीट पर जीत हासिल करने के साथ चौरंगी विधानसभा क्षेत्र में दूसरे स्थान पर रही. चौरंगी सीट बचाने में तृणमूल कांग्रेस कामयाब रही. बशीरहाट दक्षिण में भाजपा उम्मीदवार शमिक भट्टाचार्य ने तृणमूल कांग्रेस के दिपेंदु विश्वास को 1586 मतों से पराजित कर दिया.

भट्टाचार्य को 71002 मत मिले, जबकि तृणमूल कांग्रेस के दिपेंदु विश्वास को 69416 मतों से संतोष करना पड़ा. माकपा के मिलान चक्रवर्ती 24884 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस के असीत मजूमदार को 21958 मत मिले और वह चौथे स्थान पर रहे. मध्य कोलकाता की चौरंगी विधानसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार नयना बंद्योपाध्याय ने भाजपा के रितेश तिवारी को 14344 मतों से पराजित किया. नयना बंद्योपाध्याय को 38,328 मत मिले, जबिक रितेश तिवारी 23,984 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस उम्मीदवार संतोष पाठक को 23,317 वोटों के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा.

माकपा उम्मीदवार फैयाज अहमद खान को 8,890 मत मिले. उनकी जमानत जब्त हो गयी है. गौरतलब है कि इससे पहले भाजपा के बादल भट्टाचार्य ने 1999 में तृणमूल कांग्रेस के साथ गंठबंधन में रहते हुए दक्षिण 24 परगना के अशोकनगर विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी. लेकिन उसके बाद पार्टी राज्य विधानसभा में अपना कोई नुमाइंदा नहीं भेज सकी.

यह पहला अवसर है जब भाजपा अपने बल-बूते पश्चिम बंगाल विधानसभा में दाखिल होने में कामयाब रही है. चौरंगी विधानसभा सीट पर भाजपा दूसरे स्थान पर रही है. पार्टी के लिए यह उपलब्धि मानी जा रही है. सबसे बुरा हाल माकपा का है. उसे अपने गढ़ बशीरहाट दक्षिण सीट पर न सिर्फ हार मिली है, बल्कि उसके उम्मीदवार को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. चौरंगी सीट पर तो माकपा की जमानत तक जब्त हो गयी है.

* इवीएम नहीं खुली

बशीरहाट दक्षिण सीट की मतगणना के सभी चक्रों के बाद पता चला कि शमिक भट्टाचार्य 1,742 मतों के अंतर से जीते हैं लेकिन एक इवीएम खुल नहीं पाया था और उसे मतगणना के लिए चुनाव आयोग के पास भेज दिया गया. तृणमूल ने नतीजे घोषित करने से पहले इवीएम के मतों की गणना की मांग की थी जिसके बाद मतों का अंतर 1,586 रह गया.

* जनता की जीत: शमिक

जीत के बाद भट्टाचार्य ने कहा, यह मेरी जीत नहीं है बल्कि जनता की जीत है जिन्हें लगता है कि केवल भाजपा ही बंगाल में तृणमूल के कुशासन से निपट सकती है और उन्हें न्याय दिला सकती है. 2011 के विधानसभा चुनाव में चौरंगी और बशीरहाट दक्षिण में क्रमश: तृणमूल कांग्रेस और माकपा को जीत मिली थी.

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