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सुर से भी हो सकती है ईश्वर की प्राप्ति : बाबुल सुप्रियो

कोलकाता : एक कालाकार होने के नाते मैं कह सकता हूं कि सुर एक ऐसा माध्यम है, जिससे ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं. जब आप दिल से गाते हैं, तो आप का संबंध सीधे तौर पर ईश्वर से हो जाता है. उसी तरह से, हर वह काम जो आप दिल से करते हैं, कहीं […]

कोलकाता : एक कालाकार होने के नाते मैं कह सकता हूं कि सुर एक ऐसा माध्यम है, जिससे ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं. जब आप दिल से गाते हैं, तो आप का संबंध सीधे तौर पर ईश्वर से हो जाता है. उसी तरह से, हर वह काम जो आप दिल से करते हैं, कहीं ना कहीं उससे ईश्वर भी अपने आप जुड़ जाता है. लोकतंत्र में राजनीति एक ऐसा माध्यम है, जिससे आप सीधे तौर पर उन लोगों से जुड़ जाते हैं, जिनकी आप की आवश्यता होती है.

उक्त बातें केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहीं. महानगर के स्वभूमि में आयोजित सांस्कृतिक उत्सव अर्थ में परिचर्चा सत्र को संबोधित करते हुए राज्य की परिस्थिति पर उन्होंने कहा कि बंगाल की स्थिति काफी भयानक है. यहां लोगों को कार्य नहीं करने दिया जाता.
हर क्षेत्र में राजनीति का बोलबाला है. जब मैं समाज के लिए कार्य कर रहा था, तो मुझे छह साल तक स्टेज शो के लिए अनुमति नहीं दी गयी. स्थिति यह है कि आज बांग्ला फिल्म इंडस्टी टाॅलीवुड भी अछूता नहीं है. यहां एक पार्टी के लोग शूटिंग कर रहे कलाकारों को जबरन रैलियों में ले जाते हैं. उन्हें जबरन पार्टी का झंडा उठाने को कहा जाता है. ऐसे लोगों से मेरा आग्रह है कि कृपया ऐसा न किया जाये.
कार्यक्रम में उपस्थित बांग्ला फिल्म अभिनेत्री ऋतुपर्णा सेनागुप्ता ने कहा कि यह सही है कि राज्य व देश में होनेवाली घटनाओं का उनके मानस पटल पर असर छोड़ती हैं, लेकिन मैं किसी राजनेता की तरह नहीं सोचती, क्योंकि मैं एक कालाकार हूं. समाज में हो रही घटनाओं पर प्रतिक्रिया, मैं अपनी फिल्मों व अभिनय के माध्यम से देने का प्रयास करती हूं. परिचर्चा में अनिक दत्ता और बुधायन मुखर्जी ने भी अपना वक्तव्य रखा.

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