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कोलकाता :युवती का पीछा कर वीडियो बनाने का आरोपी गिरफ्तार

कोलकाता : मेट्रो में सफर के दौरान युवती को परेशान करने, उसका पीछा करने व बिना अनुमति के वीडियो बनाने के आरोप में एक मनचले को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार आरोपी का नाम बिल्लो मंगल सरदार उर्फ शारडा है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक पीड़िता ने शिकायत में बताया कि वह जादवपुर इलाके की रहनेवाली है. […]

कोलकाता : मेट्रो में सफर के दौरान युवती को परेशान करने, उसका पीछा करने व बिना अनुमति के वीडियो बनाने के आरोप में एक मनचले को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार आरोपी का नाम बिल्लो मंगल सरदार उर्फ शारडा है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक पीड़िता ने शिकायत में बताया कि वह जादवपुर इलाके की रहनेवाली है. वह शनिवार को आठ बजे के करीब मेट्रो में सफर कर रही थी. अचानक उसे एहसास हुआ कि एक युवक उसका पीछा कर रहा है. मेट्रो में लगातार वह उसे घूर रहा था. युवक की हरकतों से पीछा छुड़ाने के लिए उसने अंदर मेट्रो का कोच भी बदल लिया. युवक भी दूसरे कोच में आ गया. इसके बाद उसने युवक को चेतावनी भी दी और सेंट्रल मेट्रो स्टेशन से बाहर निकली. युवक भी उसका पीछा करते हुए सेंट्रल मेट्रो स्टेशन से बाहर निकला. इसी बीच उसकी नजर पड़ी कि वह मोबाइल में वीडियोग्राफी कर उसका चेहरा कैद कर रहा है. इसके बाद उसने शोर मचा कर आसपास के लोगों को एकत्रित कर लिया, जिसे देख कर युवक वहां से भाग गया. इधर सूचना पाकर बहूबाजार थाने की पुलिस पहुंची और आरोपी को सीसीटीवी कैमरे की मदद से शनिवार रात को ही गिरफ्तार कर लिया.
लड़कियों व महिलाओं को अपना रक्षक खुद बनना होगा
अभी हम जिस तरह के समाज में रहते हैं, वहां लड़कियों के लिए आत्मरक्षा एक बेहद महत्वपूर्ण विषय है. आज के दौर में लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों की बराबरी कर रही हैं, लेकिन लोगों की मानसिकता में कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. महिलाओं को समाज में आमतौर पर एक अबला नारी के रूप में ही देखा जाता है और उनको आसानी से निशाना बनाया जाता है. देश में हिंसक घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं. ज्यादातर हिंसक घटनाओं की रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करायी जाती, ऐसी स्थिति में महिलाओं को अपनी रक्षा खुद करनी होगी. भारत में महिलाओं के साथ हो रहे अपराध, छेड़छाड़, दुष्कर्म जैसी घटनाएं बहुत सामान्य हो गयी हैं. वर्तमान समय में समाज में लोगों की मानसिकता ऐसी हो गयी है कि किसी महिला के साथ कोई अप्रिय घटना को होते देख कर भी लोग उसे अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं.
कई बार लोक-लाज के भय से उस घटना के खिलाफ किसी प्रकार की कोई शिकायत भी नहीं की जाती है और ना ही कोई उस पीड़िता की मदद करता है. एक तरफ हम देश के जिम्मेदार और जागरूक नागरिक होने का दावा करते हैं पर एक महिला के साथ कोई घटना होने पर उसे दबा दिया जाता है, कोई उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाता. हां, लेकिन इस तरह की घटना होने के बाद वहीं लोग सड़कों पर कैंडल मार्च निकाल कर पीड़िता के लिए इंसाफ की मांग करते हैं. ऐसी परिस्थिति में हम यही कह सकते हैं कि समाज की सोच लड़कियों के लिए चाहे जैसी भी हो लड़कियों, महिलाओं को अपनी सुरक्षा के प्रति स्वयं जागरूक होने की जरूरत है. महिलाओं के खिलाफ हो रही यह छोटी-छोटी घटनाएं ही आगे चलकर बड़े-बड़े अपराध का रूप ले लेती हैं. ऐसे में महिलाओं या लड़कियों को सेल्फ डिफेंस या आत्मरक्षा के लिए मार्शल आर्ट, जुडो, कराटे व ताइक्वांडो सीखना चाहिए. इसमें परिवार के साथ-साथ स्कूल भी अहम रोल अदा कर सकते हैं. इसी मसले पर प्रभात खबर की टीम ने श्री जैन विद्यालय में छात्राओं से बातचीत की. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश…
महिलाओं के प्रति देश में हिंसक घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं
वैष्णवी सिंह (कक्षा-9): स्कूल आने के दौरान कई बार बस में इस तरह की अप्रिय घटनाओं का सामना करना पड़ता है. इस स्थिति से स्वयं ही निबटना पड़ता है. इसलिए सभी लड़कियों को अपनी सुरक्षा के लिए खुद ही आवाज उठानी चाहिये.
ऋतिका सिंह(कक्षा-9): समाज को नजरिया बदलने की आवश्यकता है. कई बार लोग चीजों को अपने नहीं समाज के चश्मे से देखते हैं. छेड़छाड़ के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए सेल्फ डिफेंस बहुत जरूरी है.
सानिया अग्रवाल (कक्षा-9): टोटो व बस में कई बार लोगों की गंदी नज़र का सामना करना पड़ता है. कुछ लोग तो जान बूझ कर बदमाशी करते हैं. ऐसे में लड़कियों को अपनी आवाज बुलंद करने की जरूरत है. ऐसे लोगों को टोकना और रोकना होगा.
कृपा गहेलरा (कक्षा-9): आज के आधुनिक दौर में भी कुछ बुद्धिजीवी पुराने उसूलों पर अड़े हैं. अब भी उनकी मानसिकता पुरूष प्रधान समाज की है. परिवारों में मां को सम्मान मिले, क्योंकि बच्चा मां से सिखता है. मां अगर सम्मानित होगी तो समाज में कभी भी आत्मरक्षा ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी.
लक्ष्मी मूंधड़ा (कक्षा-11 कॉमर्स): आत्मरक्षा आज के दौर की प्राथमिकता है. कई बार लड़कियां समाज के भय से चुप रह जाती हैं, लेकिन यह गलत है. अगर हम सही हैं तो साबित करने में कोई हर्ज नहीं. अपने अस्तित्व की पहचान हमें खुद बनानी पड़ती है.
शिवांगी उपाध्याय (कक्षा-11 कॉमर्स): आज समाज में लड़कियां कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. कोई भी घटना होती है तो लड़कियों के पहनावे पर सवाल उठने लगता है, जबकि इसमें लड़कियों का कोई दोष नहीं है. लड़कियों को सशक्त होने की जरूरत है. वे मजबूत होंगी तभी जवाब दे पायेंगी. सेल्फ डिफेंस बहुत ही जरूरी है.
अदिति तिवारी (कक्षा-11 कॉमर्स): लड़कियों को सेल्फ डिफेंस के लिए तैयार करने, उन्हें आत्मरक्षा के गुर सिखाने में स्कूलों का भी अहम योगदान होता है. हमारे स्कूल में इस पर सिखाया पढ़ाया जाता है. सबसे जरूरी है कि आप कहीं भी, कभी भी, किसी के डर से चुप ना रहें.
मनीषा साव (कक्षा-11 कॉमर्स): आत्मरक्षा की जरूरत ना केवल लड़कियों को है, बल्कि लड़कों को भी उतनी ही जरूरत है. समाज के हर व्यक्ति को जरूरत है कि वे खुद अपनी रक्षा कर सके. लड़कियां सब जान समझकर भी कई बार चुप रह जाती हैं. लड़कियों को जब से समझ होती है, तबसे यही सिखाया जाता है, समाज क्या कहेगा. हमारे पहनावे पर सवाल क्यों उठाया जाता है?
साक्षी अग्रवाल (कक्षा-11 कॉमर्स): लड़कियों को शारीरिक और मानसिक रूप से भी मजबूत होने की जरूरत है. जितना हो सके अपना समय अपने परिवार को दें. जीवन संबंधी हर बात अपने माता-पिता से शेयर करें.
प्रिया गोस्वामी (कक्षा- 11 कॉमर्स): आत्मरक्षा की जरूरत ना केवल शहर की लड़कियों को है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी उतनी ही है, क्योंकि ज्यादातर घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों से प्रकाश में आती हैं. राज्य सरकार को इस पर सोचना चाहिए.

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