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30 साल बाद बरी हुआ ममता के सिर पर रॉड से जानलेवा हमला करने वाला लालू, जानें कब और कैसे हुआ था हमला

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जानलेवा हमला करने वाले आरोपी लालू आलम को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. अदालत ने गुरुवार को आरोपी लालू को बरी किया. अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश पुष्पल सतपति ने अभियोजन की एक याचिका पर यह आदेश पारित किया. गौरतलब है कि इस […]

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जानलेवा हमला करने वाले आरोपी लालू आलम को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. अदालत ने गुरुवार को आरोपी लालू को बरी किया. अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश पुष्पल सतपति ने अभियोजन की एक याचिका पर यह आदेश पारित किया. गौरतलब है कि इस मामले में 11 अन्य आरोपियों की या तो मौत हो चुकी है या फिर वे लापता हैं. न्यायाधीश ने कहा कि घटना को लगभग तीस साल हो गये हैं और अभी तक इस मामले में कोई नतीजा सामने नहीं आया है, इसलिए न्यायालय यह फैसला कर रही है.

जानें पूरा वाकया कब और कैसे हुआ था हमला
सुतापा पाल ने अपनी किताब ‘दीदी दि अनटोल्ड ममता बनर्जी में इस जानलेवा हमले की विस्तार में जानकारी दी है. उन्होंने किताब में लिखा है कि टीएमसी के नेता सौगात रॉय के जेहन में आज भी वह दिन अच्छी तरह से अंकित है-जब ममता बनर्जी पीजी हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में पड़ी थीं. उनके सिर से लगातार खून बह रहा था, लेकिन उनके चेहरे पर डर या दर्द नहीं था. सौगात रॉय जब उनसे मिलने आये थे तो उन्हें यह नहीं लगा था कि वे किसी जख्मी महिला को देखने आये हैं, बल्कि उनका सामना एक ऐसी औरत से हुआ जो दृढ़संकल्पित थी और जिसने उस वक्त यह कहा था- मैं इन्हें (माकपा को) देख लूंगी. ममता ने अपने इन शब्दों को अक्षरश: सत्य साबित किया जब वे बंगाल की सत्ता पर काबिज हुईं.
घटना 16 अगस्त 1990 की है जब कांग्रेस पार्टी ने बंगाल में अपने कुछ साथियों रघुनंदन तिवारी, मानस बनर्जी, विमल डे की पुलिस फायरिंग में हुई मौत के बाद बंद का आयोजन किया था. उस दिन ममता बनर्जी को कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करना था, लेकिन ममता बनर्जी को उनकी मां गायत्री देवी घर से निकलने नहीं देना चाह रही थीं. उन्हें शक था कि उनकी बेटी की जान को खतरा है. लेकिन जब कांग्रेस पार्टी को अपनी ‘फायरब्रांड’ की जरूरत थी उस वक्त वे अपनी मां के आंचल में नहीं छिप सकती थीं, इसलिए ममता ने अपनी मां से झूठ बोला. उन्होंने कहा कि वे बस पार्टी आफिस में जाकर बैठेंगी और कुछ नहीं करेंगी. उन्होंने मां के पारंपरिक विदाई की प्रतीक्षा नहीं की और घर से निकल गयीं.
ममता बनर्जी को प्रदर्शन का नेतृत्व करना था, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि यहां कुछ गलत होने वाला है. कांग्रेस के नेता भी प्रदर्शन स्थल तक पहुंच रहे थे. उसी वक्त पीली टैक्सी में माकपा के सदस्य वहां पहुंच गये और पुलिस नदारद थी. ममता ने देखा लालू आलम उनकी ओर लोहे का रॉड लेकर आक्रमण करने के लिए बढ़ रहा था. उसने पुलिस का हेलमेट पहन रखा था. कांग्रेसियों ने ममता को घेरकर बचाने की कोशिश की,लेकिन बचा नहीं सके. ममता डरी नहीं ना वहां से भागने की कोशिश की. परिणाम यह हुआ कि उनपर हमला कर दिया गया.
उस वक्त ना तो मीडिया इतनी एक्टिव थी और ना ही सोशल मीडिया का दौर था कि उन क्षणों को कैद किया जाता , जब ममता बनर्जी शेरनी की तरह अपने मोर्चे पर डटी रहीं. लालू आलम ने उनके सिर पर वार किया और ममता के सिर से खून बहने लगा. ममता ने अपने सिर को हाथों से ढंक लिया और फिर वह बेहोश हो गयीं.

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