21.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

धूमधाम से मनी जन्माष्टमी

हजारों भक्तों ने प्राप्त किया विल्वपत्र और चरणामृत सुबह से शुरू हुआ दर्शन पूजन का सिलसिला मध्यरात्रि तक जारी रहा कोलकाता : बारानगर स्थित बाबा तारकभोला और अष्टधातु निर्मित मां अन्नपूर्णा मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर बाबा बासुदेव का जन्म दिवस भी मनाया गया. हजारों की संख्या में […]

हजारों भक्तों ने प्राप्त किया विल्वपत्र और चरणामृत

सुबह से शुरू हुआ दर्शन पूजन का सिलसिला मध्यरात्रि तक जारी रहा

कोलकाता : बारानगर स्थित बाबा तारकभोला और अष्टधातु निर्मित मां अन्नपूर्णा मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर बाबा बासुदेव का जन्म दिवस भी मनाया गया. हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तों ने बाबा की पूजा-अर्चना की. इस दौरान भक्तों में बेलपत्र और चरणामृत वितरण किया गया. इसके साथ ही हजारों भक्तों में प्रसाद वितरण किया गया.

शुक्रवार को सुबह से ही भक्तों की भीड़ बाबा तारकभोला मंदिर जुटने लगी थी. भगवान कृष्ण के जन्म समय मध्यरात्रि तक भक्तों की भीड़ मंदिर में जमी रही. मंदिर के एक भक्त ने बताया कि पूजन के बाद भक्तों विल्वपत्र व चरणामृत वितरण किया गया. भक्तों की भीड़ को देखते हुए बारानगर पुलिस के साथ कई थानों की पुलिस बारानगर के प्रमाणिक घाट रोड के आस-पास तैनात रही. भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी.

बाबा बासुदेव के एक भक्त ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन विल्वपत्र और चरणामृत प्राप्त करना अतिफलदायी माना जाता है. देव पुरुष साधक बासुदेव का जन्म भी जन्माष्टमी के दिन घनघोर तूफानी मध्यरात्रि में हुआ था. बाबा का जन्म स्थान कलकत्ता के पास स्थित बारानगर प्रमाणिक घाट रोड था और वह 22 अगस्त 1943 (बांग्ला वर्ष 5 भादो 1350) था. बाबा बासुदेव का बरानगर के आध्यात्मिक भूमि पर आविर्भाव एक बड़ी घटना थी. उत्तर 24 परगना जिले में हुगली नदी के किनारे स्थित बारानगर बांग्ला संस्कृति के आध्यात्मवाद की लीला स्थली रही है.

इसी भूमि पर श्रीरामकृष्ण परमहंस और उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय व्यतीत किया और ज्ञान प्राप्त किया था. यही स्थली बाबा बासुदेव की भी कर्मभूमि रही है. यहीं से उन्होंने मानव सेवा को परमधर्म मानकर ईश्वर सेवा किया था. ईश्वरीय प्रेरणा तथा आत्मज्ञान के साथ विधिविधान और चरणामृत-विल्वपत्र देकर वह बड़े से बड़े असाध्य बीमारी को ठीक कर देते थे. इन्हीं विधि-विधानों से नि:संतान को संतान दिया व कैंसर जैसी बीमारी से मुक्ति दिलायी.

आज राज्य में ऐसे लोगों की संख्या हजारों में हैं, जिन्होंने बाबा बासुदेव के शरण में आकर अपनी असाध्य बीमारी को ठीक करवाया. भाग्यहीन को सौभाग्य, दुर्बल को साहस और भूखे को अन्न देनेवाले बाबा के सामने कई बार विज्ञान भी नि:शब्द होता दिखा. उनके हृदय में जीव के प्रति करुणा थी. वह किसी को कष्ट में नहीं देख सकते थे, वह अपने भक्तों के लिए साक्षात दयालु पिता के रुप में विख्यात थे.

भक्तों का कल्याण करते हुए बाबा बासुदेव 22 अगस्त 2014 (बांग्ला वर्ष 5 भादो 1421) को अपना शरीर त्याग कर बैकुंठ धाम चले गये. भक्तों का कहना है कि बाबा आज भी अपने चमत्कारी रुप से भक्तों कि सारी मनोकामनाएं पूरी कर रहे हैं. आज यह स्थान बाबा के भक्तों के लिए तीर्थ के समान है. यहां पर बाबा तारकभोला और मां अन्नपूर्णा का मंदिर स्थापित है. मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के अतिरिक्त बंदोबस्त किया गया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें