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मॉब लिंचिंग के साथ धर्म को जोड़ना सही नहीं

बोले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र व प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस कोलकाता : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र और भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने कहा है कि मॉब लिंचिंग के साथ धर्म को जोड़ना सही नहीं है. पश्चिम बंगाल के कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा […]

बोले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र व प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस

कोलकाता : नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र और भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने कहा है कि मॉब लिंचिंग के साथ धर्म को जोड़ना सही नहीं है. पश्चिम बंगाल के कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा देशभर में जारी लिंचिंग की घटनाओं को लेकर उसे ‘जयश्री राम’ से जोड़ना और उस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखने पर उन्होंने सवाल खड़ा किया. इसके प्रत्युत्तर में भाजपा समर्थक बुद्धिजीवियों ने भी पत्र लिखा है.

शुक्रवार को श्री बोस ने प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कहा कि बंगाल के कथित बुद्धिजीवी लिंचिंग की घटनाओं को धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि विभिन्न समुदायों के बीच भेदभाव की उनकी मंशा पूरी हो सके. उन्होंने कहा : अगर ये बुद्धिजीवी एक विशेष समुदाय के लिए खड़े हैं और बाकी लोगों के लिए खड़े नहीं हैं तो मैं उनका विरोध करूंगा. यह राष्ट्र को धार्मिक आधार पर विभाजित करने का एक प्रयास है और मैं इसका पुरजोर तरीके से विरोध करता रहूंगा. श्री बोस ने कहा : मैं लिंचिंग के खिलाफ हूं और मुझे यकीन है कि हमारे प्रधानमंत्री देश में होने वाली इन घटनाओं को रोकेंगे.

श्री बोस ने अपने साथ घटी एक घटना का जिक्र किया, जिसका सामना उन्होंने 1992 में किया था. उन्होंने कहा कि वह सौभाग्यशाली थे कि उस मॉब लिंचिंग से जिंदा बच गये. बॉस ने कहा कि यह विशेष समुदाय अथवा किसी एक व्यक्ति से जुड़ा हुआ मामला नहीं है, बल्कि एक बड़ा आपराधिक वारदात है और कानून के मुताबिक इसमें सजा होनी ही चाहिए. जो लोग इसे धर्म से जोड़ने का काम कर रहे हैं, वे राजनीतिक लाभ के इरादे से साजिश रच रहे हैं.

श्री बोस ने कहा : यह बुद्धिजीवियों या किसी और का समर्थन करने का सवाल नहीं है. यह एक जघन्य अपराध है. मैं खुद 1992 में भीड़ के हमले का शिकार हुआ था. आज भी जब मैं उस घटना के बारे में सोचता हूं तो कांप उठता हूं. श्री बोस ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद गुवाहाटी में 100 से अधिक लोगों की भीड़ ने मुझ पर हमला किया था, मैं भीड़ से बच गया था, लेकिन 120 से अधिक लोग एक ही स्थान पर भीड़ द्वारा जला दिये गये थे.

उन्होंने लोगों से लिंचिंग की घटनाओं को धर्म से नहीं जोड़ने की अपील की. श्री बोस ने कहा : लिंचिंग को तुरंत रोकना चाहिए और केंद्र और राज्य सरकारों को लिंचिंग रोकने के लिए सक्रिय होना चाहिए. मैं यह समझने में विफल हूं कि लोग इसे धर्म से क्यों जोड़ रहे हैं, जो व्यक्ति लिंचिंग में शामिल होता है, चाहे वह ईसाई, हिंदू, मुस्लिम हों या सिख, कानून के तहत दंडित किया जाना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा : अपराध अपराध है, इसे धार्मिक रंग नहीं दिया जा सकता है. जिन लोगों ने एक पत्र लिखा है वे पीएम को लिखने के लिए स्वतंत्र हैं, यह एक स्वतंत्र राष्ट्र है लेकिन इसे धार्मिक रंग देना बेहद आपत्तिजनक है. मैं सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा में विश्वास करता हूं, जिन्होंने सभी धर्मों को एकजुट किया और भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी. जो व्यक्ति इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश करता है, वह मेरा दुश्मन है.

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के 49 बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक चिट्ठी लिखी है जिसमें दावा किया है कि देशभर में कथित तौर पर असहिष्णुता बढ़ गयी है. दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं. जयश्री राम का नाम लेकर लोगों को मारा-पीटा जा रहा है. इसके जवाब में शुक्रवार को देशभर के 62 बुद्धिजीवियों ने एक दूसरी चिट्ठी प्रधानमंत्री के नाम लिखी है, जिसमें दावा किया है कि देश में हालात सामान्य हैं और देश सही दिशा में बढ़ रहा है. उसमें पहले लिखी गयी चिट्ठी पर सवाल खड़े करते हुए पूछा गया है कि आदिवासियों पर हमले होते हैं तब बुद्धिजीवी क्यों मौन रहते हैं.

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