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छठे वेतन आयोग की अवधि फिर बढ़ी

31 दिसंबर तक बढ़ायी गयी समय सीमा 27 नवंबर 2015 को आयोग का हुआ था गठन अब तक चार बार समय सीमा में हो चुकी है वृद्धि कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार ने एक बार फिर छठे वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने के लिए गठित आयोग की समय सीमा को सात माह के लिए […]

31 दिसंबर तक बढ़ायी गयी समय सीमा

27 नवंबर 2015 को आयोग का हुआ था गठन

अब तक चार बार समय सीमा में हो चुकी है वृद्धि

कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार ने एक बार फिर छठे वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने के लिए गठित आयोग की समय सीमा को सात माह के लिए बढ़ा दिया है. यह जानकारी सोमवार को राज्य सचिवालय नवान्न भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के माध्यम से दी गयी.

गाैरतलब है कि रविवार को ही आयोग की मियाद खत्म हो गयी थी, जिसके बाद सोमवार को राज्य सरकार की ओर से मियाद बढ़ाने की घोषणा की गयी. यह पांचवीं बार है, जब छठे वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने के लिए गठित आयोग की मियाद को बढ़ाया गया है. इससे विपक्ष के साथ सत्तारूढ़ दल के यूनियनों में नाराजगी देखी जा रही है.

यूनियनों की ओर से वेतन आयोग के चेयरमैन अभिरूप सरकार के इस्तीफे की मांग की गयी है. इससे पहले राज्य सरकार के कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने के लिए 2016 विधानसभा चुनाव से पहले 27 नवंबर 2015 में अभिरूप सरकार के नेतृत्व में छठा वेतन आयोग गठित किया गया था.

आयोग को काम शुरू करने में ही लंबा समय लग गया. इसके बाद दूसरी बार ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद 27 मई 2016 को आयोग की मियाद फिर से छह महीने के लिए बढ़ाई गयी.

फिर कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने के लिए सरकार की ओर से कर्मचारियों के लिए 10 प्रतिशत डीए बढ़ाने की घोषणा की गयी. इतने पर भी कुछ निर्णय नहीं निकल सका और फिर दो बार पहली बार एक साल के लिए और दूसरी बार छह महीने के लिए मियाद बढ़ाई गयी.

इस बीच कर्मचारियों के लिए सुकून बस इस बात की रही कि एक जनवरी से लागू 10 प्रतिशत अंतरिम भत्ता के साथ 18 प्रतिशत बकाया डीए देने की घोषणा की गयी थी. इसके बाद राज्य सरकार की ओर से दावा किया गया कि अब कर्मचारियों कुल 125 प्रतिशत डीए मिलने लगा, लेकिन फिर भी 23 प्रतिशत डीए बकाया रह गया. अब एक बार फिर छठे वेतन आयोग की मियाद को बढ़ाया गया है जिसको लेकर सरकारी कर्मचारी नाराज हैं.

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