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कोलकाता : पास-फेल प्रणाली शुरू करने के लिए नियमित मूल्यांकन जरूरी
शिक्षक संगठनों ने की राज्य सरकार से गंभीरता से सोचने की मांग कोलकाता : केंद्र सरकार के प्रस्ताव के बाद राज्य के सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में पास-फेल प्रणाली फिर से शुरू करने की शिक्षक संगठन मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि स्कूल में यह प्रणाली शुरू करने से पहले कक्षा एक से […]
शिक्षक संगठनों ने की राज्य सरकार से गंभीरता से सोचने की मांग
कोलकाता : केंद्र सरकार के प्रस्ताव के बाद राज्य के सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में पास-फेल प्रणाली फिर से शुरू करने की शिक्षक संगठन मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि स्कूल में यह प्रणाली शुरू करने से पहले कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के बच्चों का नियमित मूल्यांकन होना चाहिए.
इसमें क्लास में बच्चे क्या पढ़ रहे हैं, उसकी एक रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए. जो बच्चे कमजोर हैं, उन पर ज्यादा फोकस करते हुए उनकी एक्सट्रा क्लास ली जानी चाहिए. गाैरतलब है कि मानव संसाधन विकास मंत्री ने बच्चों की नींव मजबूत करने के लिए इस प्रणाली को फिर से शुरू करने की बात कही है. इसे लेकर अब राज्य सरकार को गंभीरता से सोचने की जरूरत है.
सेकेंडरी टीचर्स एसोसिएशन के एक सदस्य का कहना है कि आठवीं तक सभी बच्चों को पास करने की प्रणाली से बच्चे पढ़ाई में कमजोर हो रहे हैं. उनकी नींव मजबूत नहीं हो पायेगी. दसवीं तक पहुंचने तक बच्चे बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाते हैं. कुछ शिक्षकों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी इस अहम फैसले पर सही रिपोर्ट नहीं दे रही है.
राज्य के हजारों बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं. उनके भविष्य को ध्यान में रख कर कमेटी को अपना पक्ष रखना चाहिए. साथ ही स्कूलों में बच्चों के परफोरमेंस पर लगातार निगरानी करने व उसे सुधारने की जरूरत है. प्राथमिक शिक्षा के अंतिम चरण यानी कक्षा पांचवीं से या अपर प्राइमरी के अंतिम चरण यानि कि कक्षा आठवीं से पास-फेल प्रणाली स्कूलों में शुरू करने के लिए काफी समय से मांग की जा रही है.
क्या कहना है बंगीय शिक्षक ओ शिक्षा कर्मी समिति काइस बारे में बंगीय शिक्षक ओ-शिक्षा कर्मी समिति के सह-सचिव सपन मंडल का कहना है कि कमेटी की सिफारिश में सही तथ्य होने से आठवीं तक पास-फेल प्रणाली शुरू की जा सकती है. राज्य सरकार को संसद में पेश किये गये आरटीए एक्ट के अनुसार ही चलना होगा. राज्य सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय कमेटी द्वारा दिये गये प्रस्ताव से शिक्षक सहमत नहीं हैं. राज्य के स्कूलों में फिर से पास-फेल प्रथा शुरू करने से पहले नियमित मूल्यांकन की प्रक्रिया आवश्यक है.
यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्य सरकार पास-फेल प्रणाली न शुरू करके पुरानी परंपरा पर ही कायम रहे. शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि फेल होने पर बच्चों को रोका जायेगा, यह प्रणाली पांचवी कक्षा से 2019-20 के शैक्षणिक सत्र से शुरु की जा सकती है. अभी तक इस बिंदु पर सहमति बनी है.
कमेटी चाहती है कि छात्र माध्यमिक की परीक्षा के लिए पूरी तैयारी करें. परीक्षा में प्रश्नपत्र मल्टीपल च्वाइस के दिये जायें. कक्षा सातवीं व आठवीं में लघु उत्तर टाइप के प्रश्न देने से छात्रों के पास पास होने के लिए विकल्प रहेगा. इसके अलावा बच्चों को उनकी रचनात्मक प्रतिभा के लिए भी कुछ अंक दिये जाने का प्रस्ताव दिया गया है.
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