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किसानों को कम ब्याज पर 7,000 करोड़ कर्ज देगा राज्य, राज्य के सहकारिता मंत्री अरूप राय ने दी जानकारी

कोलकाता : अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों पर नजर रखते हुए पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने किसानों को सस्ती ब्याज दर पर कृषि ऋण आवंटित करने का फैसला किया है. पश्चिम बंगाल के सहकारिता मंत्री अरूप राय ने शुक्रवार को कहा कि ममता बनर्जी सरकार ने दो प्रतिशत की निम्न ब्याज दर […]

कोलकाता : अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों पर नजर रखते हुए पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने किसानों को सस्ती ब्याज दर पर कृषि ऋण आवंटित करने का फैसला किया है. पश्चिम बंगाल के सहकारिता मंत्री अरूप राय ने शुक्रवार को कहा कि ममता बनर्जी सरकार ने दो प्रतिशत की निम्न ब्याज दर पर 7,000 करोड़ रुपये का ऋण बांटने का फैसला किया है. कृषि ऋण पर ब्याज दर को मौजूदा चार प्रतिशत से कम किया गया है.
अरुप राय ने बताया कि अगले साल मार्च से पहले यह ऋण सहकारी बैंकों और सोसाइटियों के जरिये वितरित किया जायेगा. मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार को मिली शिकायतों के बाद कदम उठाया गया. शिकायतों में कहा गया कि किसानों को या तो कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है या वाणिज्यिक बैंकों से ऋण नहीं मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि कृषि ऋण की मात्रा पिछले साल के 5,200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7,000 करोड़ रुपये की गई है, जो 34 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है. ब्याज दर भी चार प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत कर दी गई है.
राज्य सहकारिता विभाग के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि कई प्रयासों के बावजूद, राज्य सरकार 710 ग्राम पंचायत क्षेत्रों में बैंक शाखाएं स्थापित नहीं कर पायी और इसलिए सहकारी समितियों को बैंक के रूप में कार्य करने की अनुमति देने का फैसला किया गया.
इस आईएएस अधिकारी ने कहा, और इसी के कारण, हमने 2,661 सहकारी समितियों को सहकारी बैंकों की शाखाओं के रूप में कार्य करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है. इससे बैंकिंग तंत्र के दायरे में अधिक किसानों को लाने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस सस्ती कृषि ऋण के कारण आने वाले वित्तीय बोझ को संभालने में मदद करेगी. विपक्षी वाम मोर्चा ने सितंबर में बीरभूम जिले में एक मार्च का आयोजन किया था जिसमें किसानों के लिए कृषि ऋण माफी और बैंकों से आसान ब्याज दर वाले ऋण की मांग की गई थी.
अधिकारी ने कहा कि राज्य ने सहकारी बैंकों और सोसायटियों के माध्यम से स्व-सहायता समूहों के लिए 1,200 करोड़ रुपये के ऋण को बांटने का भी फैसला किया है, और कहा कि पिछले साल यह राशि 1000 करोड़ रुपये थी.

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