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राफेल सौदा मामले में पी चिदंबरम ने सरकार ने साधा निशाना, बोले-खरीद प्रक्रिया हुई अनदेखी

कोलकाता : राफेल लड़ाकू विमान मुद्दे पर सरकार पर हमले तेज करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने शनिवार को केंद्र पर इसका सौदा करने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया और कई समितियों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. उन्होंने इस सौदे की विस्तार से जांच कराने की भी मांग की. चिदंबरम ने मांग […]

कोलकाता : राफेल लड़ाकू विमान मुद्दे पर सरकार पर हमले तेज करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने शनिवार को केंद्र पर इसका सौदा करने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया और कई समितियों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया. उन्होंने इस सौदे की विस्तार से जांच कराने की भी मांग की. चिदंबरम ने मांग की कि इस पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार द्वारा हर विमान के लिए तय की गयीं कीमतें भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में किये गये सौदे में तीन गुनी कैसे बढ़ गयी.

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उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि यह मामला इतना गंभीर है कि इस पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए और इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए. इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष (राहुल गांधी) ने इसे उठाया. पूर्व वित्त मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि इस सौदे पर हस्ताक्षर करने से पहले सरकार ने सुरक्षा पर मंत्रिमंडल की समिति को भरोसे में नहीं लिया.

उन्होंने यहां कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से कहा कि कई सवाल है, जिसका जवाब देने की जरूरत है. रक्षा खरीद प्रक्रिया को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया. एक अनुबंध वार्ता समिति है, जिसकी इस सौदे के लिए कभी बैठक नहीं हुई. मूल्य वार्ता समिति भी है, जिसकी कभी बैठक नहीं बुलायी गयी. उन्होंने कहा कि इन सबसे ऊपर सुरक्षा पर मंत्रिमंडल समिति भी है, जो इस तरह के किसी भी रक्षा खरीद को मंजूरी देती है. इनमें से किसी समिति को शामिल नहीं किया गया, मंत्री इस बारे में नहीं जानते.

चिदंबरम ने कहा कि यूपीए ने हर राफेल विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये तय की और एनडीए के समझौते में एक विमान की कीमत 1,670 करोड़ रुपये तय की गयी. अगर यह आंकड़ा सही है, तो क्या कोई बतायेगा कि कीमतें तीन गुनी कैसे बढ़ गयीं? सरकार का कहना है कि यह गुप्त समझौता है, लेकिन द सॉल्ट एविएशन की रिपोर्ट में पहले ही कीमत का जिक्र किया गया है.

चिदंबरम ने कहा कि यह कहकर सौदा किया गया था कि आपात मकसद से विमान खरीदे जा रहे हैं, क्योंकि भारतीय वायु सेना कमजोर हो रही है, लेकिन अभी तक ‘एक भी विमान’ भारत नहीं पहुंचा. उन्होंने कहा कि अगर वे आपात खरीद आधार पर विमान चाहते थे, तो वे यह सुनिश्चित करते कि कुछ महीनों के भीतर पहला विमान देश पहुंच जाये. इसलिए निश्चित तौर पर यह एक आपात खरीद नहीं है.

उन्होंने कहा कि यूपीए के सौदे के दौरान एक उपखंड था कि विमानों की देखरेख सरकारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) करेगी. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि एनडीए के नये समझौते के तहत द सॉल्ट को इसकी देखरेख के लिए साझेदार चुनने का मौका दिया गया और उसने इस मकसद के लिए एक निजी कंपनी का चुनाव किया.

चिदंबरम ने आरोप लगाते हुए कहा कि यूपीए सरकार के सौदे के तहत तकनीक एचएएल को दी जायेगी और उसे 108 विमान बनाने थे, लेकिन एनडीए सौदे के तहत तकनीक का हस्तांतरण नहीं किया गया और एचएएल को इस समझौते से पूरी तरह बाहर रखा गया. उन्होंने कहा कि सरकार ने द सॉल्ट से एचएएल को चुनने के लिए क्यों नहीं पूछा और क्यों तकनीक हस्तांतरित नहीं की गयी? इन सवालों का कोई जवाब नहीं है.

चिदंबरम ने कहा कि भाजपा का यह आरोप कि पूर्ववर्ती सरकारों ने भी रक्षा खरीद सौदे की कीमतों का खुलासा नहीं किया. यह पूरी तरह आधारहीन है, क्योंकि यूपीए सरकार ने ऐसे सौदे की कीमतों का खुलासा किया था. उन्होंने कहा कि हमने संसद में आईएनएस विक्रमादित्य, सुखोई और मिराज विमान की कीमतों का खुलासा किया था. यह सरकार कीमतों को लेकर इतनी गोपनीयता क्यों बरत रही है और वे क्यों सवालों के जवाब देने से इनकार कर रहे हैं तथा बेकार के बहाने बना रहे हैं?

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