कोलकाता : अंग दान और अंग प्रत्यारोपण हजारों लोगों को नयी जिंदगी देता है. यह बात सौ फीसदी सही है. लेकिन सवाल यह है कि कितने लोगों का प्रत्यारोपण हो पाता है. एक आंकड़े के अनुसार देश में हर साल 4000-5000 लोगों को ह्रदय प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है, लेकिन सिर्फ कुछ ही यह करवा पाते हैं. इसकी वजह है अंग दान करने वाले लोगों की कमी और प्रत्यारोपण में लगने वाला भारी-भरकम खर्च. लेकिन पिछले 21 मई को फोर्टिस अस्पताल में ह्रदय प्रत्योरोपण की दिशा में एक नई इबारत लिखी गयी.
सोमवार को अस्पताल प्रबंधन की ओर से अयोजित संवाददाता सम्मेलन में ह्रदय प्रत्यारोपण के लिए गठित मेडिकल टीम में शामिल वरिष्ठ ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ के.के मंदाना ने कहा कि झारखंड़ स्थित देवघर के सोनारायठाढ़ी निवासी दिलचंद का ह्रदय प्रत्यारोपण सफल रहा. मरीज को अगले सप्ताह तक डिस्चार्ज भी कर दिया जायेगा. फिलहाल मरीज की सेहत में काफी सुधार है. उसे अस्पताल के इंटेंसिव केयर यूनिट से स्थानांतरित कर केबिन में दूसरे मरीजों से अलग रखा गया है. भोजन में चावल-दाल और फल दिया जा रहा है. मरीज को चलने-फिरने में किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं हैं. उसका बीपी और पल्स रेट भी ठीक है.
डॉ मंदाना ने आगे बताया कि लेकिन हृदय प्रत्यारोपण के मरीज को संक्रमण होने का जोखिम बना रहता है. संक्रमण ना हो इसके लिए मरीज को कई प्रकार की दवाएं दी जाती है. जो काफी मंहगी होती हैं. हर महीने करीब 20- 25 हजार रुपये का खर्च आता है. दिलचंद की माली हालात को मध्यनजर रखते हुए अस्पताल से छुट्टी के बाद उसके इलाज पर आने वाला खर्च प्रबंधन ही वहन करेगा. लेकिन हम चिकित्सकों का विशेष रूप से प्रशासन से यह अपील है कि सरकार हार्ट ट्रांसप्लांट के मामले में जरूरत मंद मरीजों को विशेष सबसिडी दें, ताकि गरीबी रेखा के नीचे आनेवाले लोग भी अपना प्रत्यारोपण करवा सके.
मरीज की फॉलोअप के लिए प्रबंधन परिजन को देगा स्मार्ट फोन
मेडिकल टीम के ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ तापस राय चौधरी ने बताया कि दिलचंद को अस्पताल से छुट्टी के बाद उसे घर भेजा जायेगा या कोलकाता के आस- पास किसी स्थान पर रखा जायेगा इस पर भी हम विचार कर रहे हैं. वहीं उसकी सेहत पर 24 घंटे नजर रखने के लिए उसके परिवारवालों को स्मार्ट फोन दिया जायेगा. ताकि विडियो कॉलिंग कर हम मरीज की सेहत पर नजर रख सके.
दिलचंद के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था
दिलचंद को गांव भेजने के लिए अस्पताल की ओर से अगल से एंबुलेंस की व्यवस्था भी की जायेगी. ताकि किसी इमरजेंसी की स्थिति में मरीज को सड़क के रास्ते जल्दी से अस्पताल लाया जा सके.
मरीज की देख- रेख के लिए परिजनों को मिलेगा प्रशिक्षण
डॉ के.के मंदाना ने कहा कि हृदय प्रत्यारोपण के बाद लगाया गया नया हार्ट मरीज के शरीर को स्पोर्ट कर रहा है या नहीं इसके लिए छुट्टी से पहले बायोप्सी किया जायेगा. फिर अगले तीन और नौ महीने के बाद यह जांच की जायेगी. मरीज के लिए पहला चार महीना काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान ही संक्रमण होने का जोखिम काफी बना रहता है. साफ-सफाई व हाइजीन पर ध्यान देने की जरूरत है. इसलिए मरीज के परिजनों को प्रशिक्षण व जानकारी दी जायेगी की वह कैसे मरीज की देख-रेख करें और साफ- सफाई पर कैसे ध्यान दे.
निःशुल्क हुआ प्रत्यारोपण
अस्पताल के सीओओ आशीष भाटिया ने बताया कि दिलचंद गरीबी रेखा के नीचे आते हैं. इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने इलाज का सारा खर्च उठाया है. उन्होंने कहा कि आम तौर पर हार्ट ट्रांसप्लांट पर करीब 20 लाख रुपये का खर्च आता है. प्रत्यारोपण के बाद भी मरीज को दवा पर हर महीने करीब 20 हजार रुपया खर्च करना पड़ता है.
