कोलकाता : यूपी के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवारों की हार से यह स्पष्ट हो गया है कि यूपी की सत्ता में आने के लिए जितनी बड़ी बातें की गयीं थी, वह सब खोखली साबित हुईं. गोरखपुर और फूलपुर मामूली सीटें नहीं थीं. गोरखपुर सीट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फूलपुर सीट उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी.
यहां से भाजपा की करारी हार यूपी सरकार और भाजपा के प्रति लोगों के गुस्से को दर्शाता है. यह बात माकपा के सांसद मोहम्मद सलीम ने कही है. उन्होंने कहा है कि यूपी उपचुनाव में सपा और बसपा के एक साथ होने का भी काफी असर रहा है. इस बार विभाजन की राजनीति कारगर साबित नहीं रही क्योंकि उपचुनाव में किसान, मजदूर, आम लोगों का वर्ग साथ खड़ा दिखा. माकपा सांसद ने कहा है कि उपचुनाव की तर्ज पर ही पूरे देश में यह एकजुटता होनी चाहिए ताकि जनविरोधी समर्थक ताकतों को सत्ता से बेदखल किया जा सके.
इधर भाकपा (माले) के प्रदेश सचिव पार्थ घोष ने कहा है कि गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने भाजपा के उम्मीदवारों को दोनों सीटों पर हराकर फासीवादी एजेंडे को सही जवाब दिया है. यह हार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यक्तिगत हार भी है.
इस्तीफा दें योगी : मन्नान
कांग्रेस विधायक तथा विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कहा है कि उत्तर प्रदेश उपचुनाव के नतीजे को देखते हुए योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. उनकी अपनी जीती हुई सीट पर भाजपा का यह हश्र स्पष्ट करता है कि जनता ने उनपर अविश्वास प्रकट किया है. यदि उनमें नैतिकता है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. एक पल भी उन्हें गद्दी पर बैठे नहीं रहना चाहिए. श्री मन्नान ने कहा कि बिहार व उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में जनता ने जो राय दी है वह स्पष्ट करता है कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को जनता ने नकारा है. लोगों के साथ सरकार ने जो धोखा दिया है उसकी ही यह प्रतिक्रिया है. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव व मायावती के गठबंधन के बाद आये नतीजे से देश में ऐसा ही चलन देखने को मिलेगा. इसकी कोशिशें भी शुरू हो गयी हैं. जनविरोधी सरकार को हटाने की जरूरत है.