पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में सरकारी प्राथमिक स्कूलों में हाल ही में आयोजित हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा (TeT) में एक शादीशुदा महिला को इसलिए परीक्षा सेंटर में प्रवेश करने नहीं दिया गया क्योंकि उसने हाथ में शाखा पोला पहन रखा था. महिला का नाम मौमिता चक्रवर्ती है. अब मौमिता ने कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) का दरवाजा खटखटाया है. जलपाईगुड़ी में टेट की परीक्षा सेंटर था. महिला को बिना परीक्षा दिये ही घर वापस आना पड़ा.
आरोप है कि चूड़ियां नहीं निकालने वाली महिलाओं को परीक्षा सेंटर में नहीं मिली अनुमति
आरोप है कि हिंदू गृहिणियों को टेट परीक्षा केंद्र में घुसने के लिए चूड़ियां व शांखा पोला खोलकर जाना पड़ा. जिन्होंने नहीं खोला, उन्हें परीक्षा सेंटर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली. याचिकाकर्ता की वकील परमिता ने दावा किया कि आयोग के फैसले की वजह से मौमिता टीईटी की परीक्षा नहीं दे सकीं. नुकसान की भरपाई कौन करेगा ? याचिकाकर्ता ने स्कूल सेवा आयोग के अध्यक्ष गौतम पाल के खिलाफ विधाननगर दक्षिण थाने में शिकायत दर्ज कराई है. इस हफ्ते चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई हो सकती है.
क्यों महिलाओं के लिये खास माना जाता है शाखा पोला
हिंदू धर्म से जुड़े शादी-विवाह में कई तरह की रस्में होती हैं. अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों में होने वाले विवाह की रस्मों में भी अंतर देखने को मिलता है. बात करें बंगाली शादियों की तो बंगाली शादियों की सभी रस्में भव्य तरीके से संपन्न होती हैं. शादी के पहले और बाद कई रस्में होती हैं, जोकि आकर्षण का केंद्र होती हैं. बंगाली शादियों में ‘शाखा पोला’ रस्म को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. नई दुल्हन और सुहागन महिला के लिए शाखा पोला का विशेष महत्व होता है.