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विश्व आदिवासी दिवस पर सड़क हादसे में 9 आदिवासियों की मौत से गांव में पसरा मातम, घरों में नहीं जले चूल्हे

West Bengal News: पुलिस अधीक्षक नागेंद्र नाथ त्रिपाठी ने मामले की फॉरेंसिक जांच के आदेश दिये हैं. फॉरेंसिक जांच टीम पता लगायेगी कि दुर्घटना कैसे हुई. दुर्घटना के लिए कौन सा वाहन कितना दोषी था. बता दें कि माकु हेम्ब्रम भी धान रोपने के लिए गयी थी.

West Bengal News: पश्चिम बंगाल के बीरभूम में मंगलवार को विश्व आदिवासी दिवस पर 8 आदिवासी महिला मजदूर समेत 9 लोगों की मौत से गांव में मातम पसरा है. रात से किसी के घर में चूल्हा नहीं जला है. मंगलवार शाम को धान रोपाई कर ऑटो से अपने घर लौट रही रामपुरहाट पारकांदी ग्राम की 8 आदिवासी महिला मजदूरों की बस-ऑटो की टक्कर में मौत हो गयी. बुधवार को भी स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं आया. पूरे गांव में शोक की लहर है. लोग मातम मना रहे हैं.

समूचे गांव में पसरा सन्नाटा

समूचे गांव में सन्नाटा और मातम पसरा हुआ नजर आया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक प्रतिनिधि दल गांव पहुंचा और पीड़ित परिवारों के लोगों से मुलाकात की. प्रधानमंत्री द्वारा घोषित दो लाख रुपये का मुआवजा मृतकों के निकट परिजनों को मिलेगा, इसका आश्वासन दिया. प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष श्यामापद मंडल ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. पीड़ित परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.

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ममता बनर्जी ने किया प्रति व्यक्ति 2 लाख रुपये मुआवजा का ऐलान

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी दुर्घटना में मारे गये लोगों के निकट परिजनों को दो-दो लाख रुपये आर्थिक मदद देने का आश्वासन दिया है. बस-ऑटो की टक्कर में जिन लोगों की मौत हुई थी, उनकी पहचान ऑटो चालक सीताराम हेम्ब्रम (26), जशोमती हेम्ब्रम (50), छापान काली बेसरा (30), होपेन हेम्ब्रम (26), पाकार हेम्ब्रम (20), संदाई हेम्ब्रम (45), शकीला हेम्ब्रम (54), बासंती सोरेन (40), माकु हेम्ब्रम (18) के रूप में हुई थी. माकु हेंब्रम नौवीं कक्षा में पढ़ती थी.

दुर्घटना की फॉरेंसिक जांच के आदेश

जिला के पुलिस अधीक्षक नागेंद्र नाथ त्रिपाठी ने मामले की फॉरेंसिक जांच के आदेश दिये हैं. फॉरेंसिक जांच टीम पता लगायेगी कि दुर्घटना कैसे हुई. दुर्घटना के लिए कौन सा वाहन कितना दोषी था. बता दें कि माकु हेम्ब्रम भी धान रोपने के लिए गयी थी. मेधावी छात्रा को गरीबी की वजह से खेत में काम करना पड़ता था. शासक दल के नेता भी गांव का दौरा कर रहे हैं. पीड़ित परिवार से भेंट करके उन्हें सांत्वना दे रहे हैं.

गर्भवती महिला की भी हुई मौत

गांव में इस वर्ष बारिश नहीं होने के कारण आदिवासी महिलाएं दूसरे गांव में मजदूरी करने के लिए गयी थी. मृतकों में एक महिला गर्भवती थी. ज्यादातर महिलाओं के संतान छोटे हैं, जो घर पर थे. उन बच्चों को देखकर गांव के लोग भावुक हो रहे हैं. सीपीएम के जिला प्रतिनिधि दल के नेता ने भी गांव पहुंचकर मदद का हाथ बढ़ाया है.

रिपोर्ट- मुकेश तिवारी

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