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फर्जीवाड़ा : रेलवे में नौकरी के बहाने धोखाधड़ी के दोषी को तीन साल के कारावास की सजा

भारतीय रेलवे में ग्रुप डी के पद पर नौकरी देने के नाम पर बेकार युवकों से पैसे लूटने के मामले में बुधवार को विशेष सीबीआइ अदालत ने दोषी साबित हुए अभियुक्त विज्ञान भूषण चट्टोपाध्याय को तीन साल के साधारण कारावास की सजा सुनायी.

आसनसोल.

भारतीय रेलवे में ग्रुप डी के पद पर नौकरी देने के नाम पर बेकार युवकों से पैसे लूटने के मामले में बुधवार को विशेष सीबीआइ अदालत ने दोषी साबित हुए अभियुक्त विज्ञान भूषण चट्टोपाध्याय को तीन साल के साधारण कारावास की सजा सुनायी. दोषी पर चार अलग-अलग धाराओं में मामले दर्ज थे. सभी धाराओं में उसे दोषी करार दिया गया. आइपीसी की धारा 420 में तीन साल की साधारण कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना, धारा 468 में तीन साल की साधारण कारावास व दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 471 में तीन साल की साधारण कारावास व 10 हजार रुपये का जुर्माना, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2)-13(1)(डी) में भी तीन साल की साधारण कारावास व दस हजार रुपये का जुर्माना. सभी धाराओं में लगा जुर्माना नहीं चुकाने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गयी. सभी धाराओं की सजा एकसाथ चलेगी. मामले में सीबीआइ पक्ष के वरिष्ठ लोक अभियोजक राकेश कुमार ने कुल 37 गवाहों के बयान और सबूतों को अदालत के समक्ष काफी मजबूती से पेश किया. जिसके आधार पर अदालत ने आरोपी को सजा सुनाई. सीबीआइ के आरोपी को बंगलुरू से पकड़ कर लाया था. आरोपी चलने में सक्षम नहीं है, उसे व्हीलचेयर बिठाकर पर बंगलुरू से यहां लाया गया. अदालत ने आरोपी की जमानत मंजूर कर दी. गौरतलब है कि साउथ ईस्टर्न रेलवे के डिप्टी सीवीओ (एसएंडटी) पीके नाग ने रेलवे में नौकरी देने के नाम पर युवकों से ठगी को लेकर 23 सितंबर 2016 को एक सीबीआइ (एसीबी) कोलकाता में शिकायत की. जिसके आधार पर 30 सितम्बर 2016 को सीबीआइ ने आरोपी साउथ ईस्टर्न रेलवे आद्रा, पुरुलिया के तत्कालीन एसएसइ (टेले) एसएंडटी बीबी चट्टोपाध्याय के खिलाफ उक्त धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की. आरोप था कि श्री चट्टोपाध्याय ने रेलवे ग्रुप- डी में उम्मीदवारों को नौकरी के लिए फर्जी अस्थायी नियुक्ति पत्र, चिकित्सा परीक्षण के कॉल लेटर, विभाग और मंडल का व्यक्तिगत आवंटन, पोस्टिंग आदेश और प्रशिक्षण पत्र जारी किया. वर्ष 2004 से 2016 के बीच में युवकों को रेलवे में नौकरी का झांसा देकर 72,08,000 रुपये की अवैध रिश्वत प्राप्त की. इस आरोप की जांच सीबीआइ ने करके चार्जशीट जमा की और सिर्फ एक ही आरोपी पर चार्जफ्रेम किया. सबूतों और गवाहों के आधार पर अदालत ने सजा सुनाया.

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