बीरभूम.
जिले के रामपुरहाट थाना क्षेत्र के बारमेसिया ग्राम की आदिवासी किशोरी की नृशंस हत्या के मामले की जांच से एएसआइ जुली साहा को हटा दिया गया. उनकी जगह एसपी अमनदीप ने मामले की जांच का जिम्मा रामपुरहाट के एसडीपीओ गोविंद सिकदर को दे दिया है. घटना को लेकर आरोपी शिक्षक से पुलिस गहन पूछताछ कर रही है. पता चला है कि गत 28 अगस्त को आरोपी शिक्षक ने सातवीं कक्षा की उस छात्रा को अपने घर में बंधक बना रखा था. घटना के दिन जब छात्रा की तलाश में उसके परिजन शिक्षक के घर पहुंचे, तो आरोपी ने छात्रा को हाथ-पैर बांध कर बक्से में बंद रखा था. पूछने पर आरोपी शिक्षक ने परिजनों को बताया था कि छात्रा यहां नहीं आयी है. मामले की शिकायत थाने में उसी दिन की गयी. शिक्षक पर परिजनों ने संदेह भी जताया. पुलिस शिक्षक के घर भी पहुंची. पर कोई जांच किये बगैर और घर में लगे सीसीटीवी कैमरे को देखे बिना ही लौट गयी. इस बीच, कहा जा रहा है कि छात्रा से दुष्कर्म करने के बाद मामला बिगड़ता देख आरोपी अगले दिन उसे बाथरूम में ले गया और गला घोंट कर मार डाला. फिर उसके शव को कई टुकड़ों में काट दिया. सीमेंट के बोरे में शव के टुकड़ों को भर कर नदी के किनारे फेंक दिया. घर पहुंचने के बाद बाथरूम को फिनाइल व एसिड से धो डाला, ताकि सबूत ना मिलें. इधर, परिजनों के लगातार दबाव के बाद शिक्षक को पुलिस पकड़ कर थाने ले गयी. लेकिन तृणमूल श्रमिक संगठन के नेता पंथा दास के हस्तक्षेप के बाद छानबीन के बिना ही शिक्षक को छोड़ दिया गया. बताया गया है कि घटना के बाद आरोपी शिक्षक हरिद्वार भागने की फिराक में था. छात्रा के परिजनों का दबाव बढ़ने पर पुलिस ने गत मंगलवार को आरोपी शिक्षक फिर पकड़ा और गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की, तब उसने छात्रा की हत्या की बात कबूली. उसके बाद आरोपी शिक्षक की निशानदेही पर सेतु के नीचे से छात्रा के शव को कई टुकड़े बस्ता में बंधे मिले. मामले की जांच अधिकारी की भूमिका पर उठते सवाल के बीच जिला एसपी अमनदीप ने छानबीन का जिम्मा एसडीपीओ को दे दिया है.दुमका-रामपुरहाट सड़क पर आदिवासियों ने किया अवरोध, फिर सशर्त हटे
जिले के रामपुरहाट थाना क्षेत्र के बारमेसिया ग्राम की किशोरी की नृशंस हत्या की घटना के खिलाफ आदिवासियों में उबाल है. बीते तीन दिनों से आदिवासी रामपुरहाट-दुमका सड़क पर अवरोध कर रहे थे. शनिवार सुबह पुलिस के समक्ष 10 सवालों के जवाब देने की शर्त पर आदिवासियों ने अपना अवरोध उठा लिया. पुलिस ने सवालों का जवाब देने का भरोसा दिया, तब आदिवासियों ने अवरोध हटाया. उनका मुख्य सवाल है कि आरोपी शिक्षक मनोज पाल को पुलिस ने किस तृणमूल कांग्रेस नेता के कहने पर छोड़ा.
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