आसनसोल.
जब तक हिंदू सुरक्षित रहेंगे, तभी तक दुनिया भी सुरक्षित रहेगी. सबके पूर्वज सनातनी हिंदू हैं. सत्ता के व्यामोह में हिंदुओं के दमन का प्रयास नहीं होना चाहिए. न्याय सबको मिलना चाहिए. जो हिंदू हैं उन्हें भी और जो गैर हिंदू है उन्हें भी. धर्म कहीं खतरे में नहीं होता और न ही इसे मानने वाले. जो धर्म को नहीं मानते, उनका पतन निश्चित होता है. एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आसनसोल पधारे पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने ये बातें कहीं.भाषा के नाम पर कहीं भी किसी का उत्पीड़न ठीक नहीं
शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को लेकर कहा कि ममता जी को फूंक-फूंक कर काम करना चाहिए. मुसलमानों के साथ भी न्याय होना चाहिए, लेकिन मुस्लिम परस्त न हों. यह आवश्यक है. बांग्ला भाषा बोलने के कारण दूसरे राज्यों में पश्चिम बंगाल के लोगों के खिलाफ उत्पीड़न पर उन्होंने कहा कि यह भी ठीक नहीं है. ऐसा नहीं होना चाहिए. उत्पीड़न की घटनाएं सही नहीं हैं. लगे हाथ उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा के प्रति भी हममें लगाव क्यों नहीं होना चाहिए ? हिंदी भी सबको सिखनी चाहिए. अन्य भाषाएं भी अच्छी और महत्वपूर्ण हैं.
दुर्दशा को प्राप्त हुए पड़ोसी, पर भारत नहीं, क्योंकि मोदी का नेतृत्व अच्छा
पुरी के शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर बात करते हुए कहा कि पिछले 10 वषों में पड़ोसी देश – बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान और अब नेपाल आदि की क्या दशा हुई ? पर भारत की तो नहीं. ऐसे में मानना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व अच्छा है. लेकिन वह धर्माचार्य व शंकराचार्य को जो अपना अनुगामी बनाना चाहते हैं, वह सही नहीं है. आजकल संत भी भाजपाई, कांग्रेसी, सपाई और बसपाई हो गये हैं. संत तो किसी पार्टी का नहीं होता.अयोध्या, चित्रकूट, नासिक, रामेश्वरम में भारतीय जनता पार्टी हारी क्यों ?
पुरी शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनने और वहां राम जी के प्रतिष्ठित होने के बाद भी अयोध्या, नासिक, चित्रकूट व रामेश्वरम में भाजपा की हार हो गयी. क्यों हुआ ऐसा ? पांच सौ वर्षों से रुके पड़े कार्य का श्रेय भाजपा ने लिया. लेकिन जब उसे भुनाना चाहा, तो हिल गयी. राजनीति का नाम है – राजधर्म, दंडनीति, अर्थनीति, क्षात्र धर्म (क्षत्रिय धर्म). सब एकार्थ में पर्यायवाची हैं. इनका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. सदुपयोग का अधिकार सभी को है.
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