राजनीतिक दलों पर माफियाओं को सहयोग करने का आरोप दुर्गापुर. शहर के गोपाल माठ इलाके में भूमि रक्षा कमेटी की ओर से विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रतिवाद जुलूस निकाला गया. जुलूस में स्थानीय महिला, पुरुष और युवाओं समेत 500 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. जुलूस विभिन्न इलाको से होकर सभा में तब्दील हो गयी. इस दौरान लोगों ने डीएसपी, एएसपी में भर्ती में हो रही भ्रष्टाचार, मजदूरों की छंटनी और माफिया सिस्टम के खिलाफ़ नारे लगाये एवं इसे बंद करने की मांग उठायी. प्लाॅटों में नियुक्ति के लिए बाहरी लोगों से करोड़ों की वसूली : कमेटी के ध्रुव ज्योति मुखर्जी समेत अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि दुर्गापुर शहर में स्थानीय बेरोज़गार युवाओं को लंबे समय से नौकरी के उनके अधिकार से दूर रखा गया है. शहर की कई बड़ी फैक्टरियों, जिनमें सरकारी कंपनियां दुर्गापुर स्टील प्लांट ( डीएसपी) और एलॉय स्टील प्लांट (एएसपी) भी शामिल हैं, इन प्लांटों में करोड़ों रुपये के भर्ती भ्रष्टाचार के ज़रिये बाहरी लोगों को रेगुलर नियुक्ति की जा रही है, लेकिन सत्ताधारी और विपक्षी दोनों पार्टियों की पॉलिटिकल लीडरशिप इस भयानक भ्रष्टाचार के खिलाफ़ चुप है. सीमेंट फैक्टरी में 28 मजदूरों को नहीं मिली नियुक्ति : उन्होंने कहा कि निजी सीमेंट फेक्टरी प्रबंधन 28 बेबस मज़दूरों को गलत तरीके से और गैर-कानूनी तरीके से 158 दिनों के लिए नौकरी से निकाल दिया है. मज़दूरों की इस बहुत बुरी हालत में भी, शहर की पॉलिटिकल लीडरशिप की कोई असरदार भूमिका नहीं दिख रही है. बालू माफियाओं को मिल रहा पॉलिटिकल सहयोग : दुर्गापुर शहर में बालू माफिया और कोयला माफियाओं की रंगदारी भयानक रूप ले लिया है. प्रशासन और पॉलिटिकल लीडरशिप की निष्क्रियता के कारण आम लोगों की जान और रोज़ी-रोटी खतरे में पड़ रही है. सत्ता धारी तृणमूल कांग्रेस के साथ विरोधी के तौर पर भाजपा भी इन सभी मुद्दों पर चुप हैं, जो “सेटिंग पॉलिटिक्स ” का एक खुला उदाहरण प्रतीत होता है. उन्होंने कहा कि राज्य प्रशाशन को इस मामले में पहल करनी होगी. प्रमुख मांगों में दुर्गापुर के स्थानीय बेरोज़गार युवाओं के काम करने का अधिकार देना होगा, मज़दूरों का शोषण और गैर-कानूनी तरीके से नौकरी से निकालना बंद करनी होगी,नियुक्ति में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई करनी होगी. ज़मीन के बिना ज़मीन के बेटों को ज़मीन के कागज़ात और पट्टे प्रदान करना होगा. ज़मीन पर बनी सभी फैक्टरियों में स्थानीय लोगों को कम से कम 50 प्रतिशत रिज़र्वेशन देना होगा. अन्यथा संगठन की ओर से आंदोलन तेज होगा.
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