बोलपुर.
विश्वभारती में तरल और ठोस अपशिष्ट पदार्थों के उचित निपटान और पृथक्करण की व्यवस्था नहीं होने पर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण(एनजीटी) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए विश्वभारती विश्वविद्यालय और पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एनजीटी ने दोनों पक्षों को नोटिस जारी कर दो माह के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. मामले की सुनवाई 22 दिसंबर को होगी.पूर्व के निर्देश और वर्तमान स्थिति
विश्वभारती के कार्यवाहक जनसंपर्क अधिकारी अतिग घोष ने बताया कि पौष मेला के दौरान पर्यावरण मंजूरी न मिलने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से रिपोर्ट जमा की गई थी, लेकिन संवादहीनता की वजह से यह मामला दर्ज हुआ. इससे पहले 2016 और 2018 में पर्यावरण कार्यकर्ता सुभाष दत्त की याचिकाओं पर एनजीटी ने 2017 और 2020 में विश्वभारती को कचरा नियंत्रण की पर्याप्त व्यवस्था करने का निर्देश दिया था.
यूनेस्को धरोहर के बावजूद पर्यावरणीय लापरवाही
गौरतलब है कि 17 सितंबर 2023 को विश्वभारती को यूनेस्को की ‘विश्व धरोहर’ का दर्जा मिला था. इसे पर्यावरण मित्र परिसर के रूप में भी जाना जाता है, पर विश्वविद्यालय परिसर और आसपास जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है. इसी वजह से एनजीटी ने जल निकासी और अपशिष्ट नियंत्रण की पर्याप्त व्यवस्था करने का निर्देश दिया है. इस मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन में हलचल तेज हो गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

