पुरुलिया.
शहर का ऐतिहासिक साहेबबांध इन दिनों प्रदूषण की चपेट में है. गंदे पानी और नालों के प्रवेश से बांध का पानी पूरी तरह दूषित हो गया है, जिसके चलते मछलियां मर रही हैं और आसपास बदबू फैल रही है. झाड़ियां और कचरे के ढेर ने स्थिति और भी गंभीर बना दी है. स्थानीय लोगों के मुताबिक यह बांध कभी पीने के पानी का प्रमुख स्रोत था. इसे ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1843 में बनाया गया था.40 करोड़ की जरूरत, पर्यावरण अदालत का रुख
पर्यावरणविद् सुभाष दत्ता ने निरीक्षण कर चेतावनी दी कि अगर तुरंत संरक्षण व सफाई नहीं की गयी, तो साहेबबांध पूरी तरह नष्ट हो सकता है. कहा कि इसके संरक्षण के लिए करीब 40 करोड़ रुपये की जरूरत होगी, जो नगरपालिका के लिए संभव नहीं है. इसी वजह से उन्होंने पर्यावरण अदालत जाने का निर्णय लिया है. नगरपालिका के पास फंड की कमी नगरपालिका की वाइस चेयरमैन मयूरी नंदी ने स्वीकार किया कि साहेबबांध प्रदूषित हो रहा है. उन्होंने बताया कि हाल ही में 30 लाख रुपये खर्च कर जलकुंभी हटायी गयी थी. लेकिन फंड की कमी के कारण व्यापक सफाई और संरक्षण नहीं हो पा रहा है. उन्होंने पर्यावरणविदों से सहयोग की अपील की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

