आसनसोल.
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) की अनुषंगी कंपनी इसीएल के अध्यक्षृ-सह-प्रबंध निदेशक (सीएमडी) सतीश झा ने कहा कि कोयला व रेलवे मंत्रालय ने मिल कर प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना के तहत 37 क्रिटिकल कोर कॉरिडोर या क्रिटिकल कोर रेलवे प्रोजेक्ट्स को चिह्नित किया है, जिसमें इसीएल के कमांड एरिया में तीन प्रोजेक्ट सोनपुरबाजारी, झांझरा और राजमहल हैं. इनमें से सोनपुरबाजारी का कार्य पूरा हो गया है, बाकी दोनों प्रोजेक्ट्स का कार्य संपन्न होते ही दक्षिणी-पूर्वी छोर में जो भी आयातित कोयला आधारित पावर प्लांट हैं तथा हाइ ग्रेड नॉन-कोकिंग कोल का उपयोग करते हैं, उन्हें सुनिश्चित कोयला की आपूर्ति कर पायेंगे. फिलहाल वे नीलामी के माध्यम से कोयला लेते हैं, पर सुनिश्चित आपूर्ति नहीं मिल पाती है. उन्हें इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से कोयला की सुनिश्चित आपूर्ति मिलती है. यहां उन्हें रेलवे लॉजिस्टिक्स मिल जाने के बाद वे सुनिश्चित आपूर्ति व लिंकेज ले पायेंगे. जिससे आयातित प्रतिस्थापन में सफलता मिलेगी. इस कार्य में रेलवे लॉजिस्टिक्स सबसे बड़ी चुनौती है, जिस पर तेजी से कार्य चल रहा है. इसीएल में 100 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने की क्षमता है. ये बातें इसीएल के सीएमडी सतीश झा ने प्रभात खबर के साथ विशेष भेंटवार्ता में कहीं.गौरतलब है कि कोल इंडिया के अनुषंगी कंपनी सीएमपीडीआइएल के तकनीकी निदेशक के साथ सीसीएल के तकनीकी निदेशक के अतिरिक्त प्रभार के पद पर रहे सतीश झा ने इसीएल के सीएमडी के रूप में 19 दिसंबर 2024 को प्रभार ग्रहण करते ही लंबित पड़े भूविस्थापित और अनुकंपा के आधार पर 180 पुरुष व महिलाओं को नियोजनपत्र सौंपा गया. जिसमें 110 अनुकंपा और 70 नियुक्तियां भूविस्थापित को मिली. श्री झा सभी क्षेत्रों का नियमित दौरा कर उत्पादन और प्रेषण के कार्य के गति को बढ़ाने के दिशा में सभी का प्रोत्साहित कर उनका मनोबल बढ़ा रहे हैं, जिसका काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. सीएसआर के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार हो रहे कार्यों से आम जनता के साथ कंपनी का मैत्रीपूर्ण संबंध मजबूत हो रहा है.लॉन्गवॉल व शॉर्टवॉल संचालन के कुशल प्रबंधन पर मिला है एसइसीएल सम्मान
वर्ष 1990, बीसीसीएल में जूनियर एग्जीक्यूटिव ट्रेनी के रूप में कोल इंडिया के साथ जुड़े सतीश झा ने अपने दक्षता और कार्य कुशलता की बदौलत सीएमडी पद के इस मुकाम को हासिल किया. लॉन्गवॉल और शॉर्टवॉल संचालन के लिए श्री झा को वर्ष 2003 में एसइसीएल सम्मान मिला. आधिकारिक तौर पर उन्होंने वर्ष 2004 में जापान, वर्ष 2019 में ऑस्ट्रेलिया और वर्ष 2024 में साउथ अफ्रीका का दौरा किया. श्री झा भूमिगत और खुली खदानों में 34 वर्षों के अपने अनुभव से इसीएल को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए अपनी सारी ताकत झोंक रहे हैं. जिसका सकारात्मक प्रभाव दो माह में ही दिखने लगा है.वर्ष 2035 में इसीएल से 100 मिलियन टन कोयला उत्पादन है संभव
सीएमडी श्री झा ने कहा कि कोल इंडिया की सबसे महत्वपूर्ण अनुषंगी कंपनी इसीएल है. यहां जी-3, जी-4, जी-5, जी-6 ग्रेड के कोयले का प्रचूर भंडार है. प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने के तहत इस कंपनी में आयातित प्रतिस्थापन की क्षमता सबसे ज्यादा है. कोल इंडिया ने वर्ष 2035 तक इसीएल में 80 मिलयन टन उत्पादन का लक्ष्य तैयार किया है, लेकिन यहां 100 मिलयन टन उत्पादन करने की क्षमता है. इसकी आनेवाली मुख्य परियोजनाएं झारखंड राज्य के गोड्डा, दुमका, पाकुड़ जिला में स्थित है. यहां करीब 50 मिलियन टन कोयला सालाना उत्पादन करनेवाली परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है, जिसपर कार्य भी शुरू हो चुका है. रानीगंज कोलफील्ड जहां भारी मात्रा में हाईग्रेड नॉन कोकिंग कोल है, 100 मिलयन टन के लक्ष्य के लिए यहां से भी जुड़ा काफी एक्शन प्लान तैयार हुआ है. आज की तारीख में इसीएल अपने भूमिगत खदानों से 10 मिलियन टन कोयला का उत्पादन कर रहा है. वर्ष 2029 तक 27 मिलियन तक पहुंचने के लक्ष्य को लेकर कार्य चल रहा है. इसके लिए मास प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी को लाया जा रहा है, चाहे वह लॉन्गवॉल हो या कन्टीन्यूअस माइनर. इससे सुरक्षा के साथ उत्पादन में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है. कोयला उत्पादन के जीवन रेखा के रूप में यही सामने आएगा.कंपनी के कुल खर्च का 67 फीसदी लग जाता है भूमिगत खदान श्रमिकों के वेतन में
श्री झा ने कहा कि इसीएल में ज्यादातर श्रमिक भूमिगत खदानों में तैनात हैं. कंपनी के कुल खर्च का 67 फीसदी राशि इनके सैलरी और वेजेस पर खर्च होता है. जबतक मास प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी पूरी तरह से लागू नहीं हो जाती है, तबतक उत्पादकता में वृद्धि नहीं होगी. 100 मिलियन टन कोयले के उत्पादन का लक्ष्य को पाने को लेकर कंपनी लॉन्ग टर्म प्लानिंग पर चल रही है.आयातित प्रतिस्थापन में सबसे बड़ी चुनौती रेलवे लॉजिस्टिक्स
श्री झा ने कहा कि कोयला उत्पादन करना ही नहीं उसे निर्धारित समय के अंदर प्रेषण करना सबसे अहम है. रेलवे लॉजिस्टिक्स के बगैर यह संभव नहीं है, जो वर्तमान परिस्थिति में सबसे बड़ी चुनौती है. जिसके कारण विदेशों से कोयला आयात करनेवाले पावर प्लांटों को सुनिश्चित आपूर्ति नहीं हो पा रही है और आयातित प्रतिस्थापन कार्य सफल नहीं हो रहा है. इसे लेकर स्थानीय स्तर पर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से नियमित बैठकें हो रही है, कोल इंडिया से भी रेलवे बोर्ड के अधिकारियों के साथ और कोल मंत्रालय से रेलवे मंत्रालय के बीच बातचीत जारी है.54 मिलियन टन का लक्ष्य पाना बड़ी चुनौती, रेलवे की होगी महती भूमिका
श्री झा ने कहा कि आर्थिक वर्ष 2024-25 में इसीएल का लक्ष्य 54 मिलियन टन कोयला उत्पादन और प्रेषण करना है. देश की सबसे बड़ा भूमिगत खदान झांझरा प्रोजेक्ट में लॉन्गवॉल यहां साल भर नहीं चल पाया, जिसके कारण यहां लक्ष्य से उत्पादन दो मिलियन टन पीछे चल रहा है और सालानपुर एरिया के मोहनपुर कोलियरी में ठेकेदार डिफॉल्ट हो गया है, जिससे यहां ढाई लाख टन पीछे है. यहां से 50 हजार टन कोयला मिल जायेगा. कुल चार लाख टन लक्ष्य से पीछे है. मार्च माह के बचे हुए इन दिनों में अन्य कुछ खदानों में उत्पादन को बढ़ा कर 53 मिलियन टन प्रोडक्शन हो जाएगा. लेकिन रेलवे लॉजिस्टिक्स के बगैर प्रेषण संभव नहीं होगा. प्रतिदिन 40 रैक की जरूरत है, फिलहाल औसत प्रतिदिन 30 रैक ही मिल रहा है. सारा रेलवे साइडिंग कोयला से भरा पड़ा हुआ है, प्रेषण नहीं हो रहा है. उत्पादन वाले महीनों में यह समस्या काफी नुकसानदेह साबित होती है. यह सिर्फ इसीएल की ही नहीं, कोल इंडिया की हर अनुषंगी कंपनी में यह समस्या है. केंद्रीय कोयला मंत्री के साथ दो दिन पहले हुई बैठक में समस्या और चुनौतियों पर चर्चा हुई है. जिसे उन्होंने संज्ञान में लिया है.किसी भी भू-विस्थापित को नौकरी के लिए नहीं करना होगा इंतजार
श्री झा ने कहा कि जमीन अधिग्रहण करना, उसे फिजिकल पोजिशन में लेना और भूविस्थापितों को नौकरी व मुआवजा देने के कार्य में तेजी लायी जा रही है. पिछले दो माह के अंदर 70 भूविस्थापितों को नौकरी दी गयी है. यह सालभर चलनेवाली दिनचर्या की समस्या है. इससे निबटने के लिए हर एरिया में तेजी से कार्य चल रहा है. किसी भी जमीनदाता को नौकरी और मुआवजा के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा. जमीन अधिग्रहण के कार्य में तेजी लायी जा रही है. यदि सही समय पर जमीनदाता को नौकरी मिल जाए तो अधिग्रहण का कार्य सुचारू रूप से चलता रहेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

