दुर्गापुर.
रंगों का त्योहार होली आज पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा. इस दिन लोग जम कर मस्ती करेंगे और एक-दूसरे को रंग-गुलाल मलेंगे. सदियों से पानी, गुलाल व रंग से होली खेलने की परंपरा रही है. पर बीते कुछ दशकों से रसायन वाले रंगों का चलन तेजी से बढ़ा है. ये रंग आंखों, त्वचा और बालों के लिए हानिकारक होते हैं, जो होली के रंग में भंग डालते हैं. इस बाबत दिशा आइ हॉस्पिटल्स के पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजी कंसल्टेंट डॉ केतकी सूबेदार घोष कहती हैं कि आजकल होली के लिए सिंथेटिक कलर्स मार्केट में छाये हुए हैं. होली में इस्तेमाल होनेवाले रंगों का असर हमारी त्वचा व आंखों पर पड़ता है. हमारी आंखें देह का सबसे संवेदनशील हिस्सा हैं, जिनसे हम दुनिया-जहान को निहारते हैं. रंगों के त्योहार के दौरान आंखों की सुरक्षा बेहद जरूरी है. होली खेलते समय हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसकी विस्तृत जानकारी डॉक्टर ने दी. बताया कि सिंथेटिक रंगों से दूर रहें. सिंथेटिक रंग काफी नुकसानदेह होते हैं. होली खेलते समय उनसे दूर रहें. कॉर्निया पर खरोंच, गुलाबी आंख और रासायनिक जलन, सिंथेटिक रंगों जैसे पीले रंग में सीसा जैसी भारी धातुएं, हरे रंग में मैलाकाइट, लाल रंग में चमकते अभ्रक कण या चांदी जैसे धात्विक वार्निश पेंट के कारण होते हैं.खतरनाक हैं पानी से भरे गुब्बारे व पनीले रंग से भरी पिचकारी
होली के दौरान बच्चों को पानी के गुब्बारे से खेलना सबसे ज्यादा पसंद होता है, लेकिन इनसे आंखों में चोट लगने का खतरा काफी ज्यादा होता है. गुब्बारे या पानी के रंग से भरी पिचकारी से निकलने वाली तेज जेट से सीधा प्रहार होने पर आंखों में जलन हो सकती है अथवा, रेटिना अलग हो सकता है.साफ पानी से धोएं आंखें
होली खेलते समय आंखों के आसपास लगे रंगों को तुरंत साफ पानी से धोएं. गुलाब जल का उपयोग भी कर सकते हैं, क्योंकि यह आंखों से रंग और धूल हटाने में मदद करता है. इससे चेहरे पर जलन भी कम करने में मदद करता है.पहनें सनग्लासेज
सिंथेटिक रंगों से बचने के लिए आपको होली खेलते समय सनग्लासेस या प्रोटेक्टिव आईवियर पहना चाहिए. इससे आपकी आंखे रंगों में मिले केमिकल्स से बची रहेंगी. होली के दौरान अगर आप लेंस पहनते हैं, तो बाजार में उपलब्ध डेली डिस्पोजेबल लेंस कैरी करें.इससे आंखों में रंगों द्वारा संक्रमण का खतरा कम होगा.बरतें सावधानियां
1. कभी भी दूसरों की आंखों के आसपास रंग ना लगाएं.2. बालों को टोपी से बांध कर बांध लें, ताकि रंग आंखों में ना जाये.
3. गुब्बारे या पानी की पिचकारी से चेहरे पर निशाना लगाने से बचें.4. अपनी आंखों के चारों ओर नारियल के तेल की मोटी परतें लगाएं, क्योंकि इससे रंग आंखों को क्षति पहुंचाये बिना आसानी से निकल जायेगा.
5. बच्चों को संभल कर होली खेलने को कहें. उन पर नज़र भी रखें.जब रंग आंखों में चला जाये, तो क्या करें
1. रंग को हटाने के लिए तुरंत अपनी आंखों को स्वच्छ पानी से अच्छी तरह धोएं.2. कॉन्टैक्ट लेंस निकालें (यदि लगा हो): रंग को आंखों के नीचे फंसने से रोकने को अपने कॉन्टैक्ट लेंस निकालें.
3. रगड़ने से बचें: अपनी आंखों के आसपास के हिस्से को साफ कपड़े से धीरे से थपथपा कर सुखाएं. अपनी आंखों को रगड़ने से बचें, क्योंकि इससे रंग आपकी आंखों में और अंदर जा सकता है.4. आइ वॉश या सलाइन सॉल्यूशन का इस्तेमाल करें: यदि उपलब्ध हो, तो रंग को बाहर निकालने को आइ वॉश या सलाइन सॉल्यूशन का उपयोग करें.
जब ऐसे लक्षण दिखें, तो जायें डॉक्टर के पास
– आँखों में तेज दर्द या जलन
– धुंधला दिखना या दृष्टि कम होना– आंखों में लालिमा या सूजन
– आंखों में स्राव या मवाद आना– प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ना
कृत्रिम आंसू की बूंदें (कार्बोक्सिमिथाइल सेलुलोज) जैसे आइ ड्रॉप सुरक्षित रूप से लगाये जा सकते हैं. डॉक्टर से परामर्श किये बिना स्टेरॉयड आइ ड्रॉप का इस्तेमाल खुद ना करें.प्राकृतिक रंग का करें उपयोग
बच्चों के लिए सिंथेटिक रंगों का इस्तेमाल ना करें और पर्यावरण के अनुकूल, घर पर बने प्राकृतिक रंगों से होली मनायें. ये बनाने में आसान, सुरक्षित व अनोखा अनुभव देते हैं. बाजार में उपलब्ध ऑर्गेनिक व वेजिटेबल सोर्सवाले रंगों का उपयोग करें. ये सिंथेटिक रंगों का बेहतर विकल्प हैं और होली का उत्सव सुरक्षित ढंग से मनायें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है