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शत्रुघ्न सिन्हा की पहल से गैर बांग्ला माध्यम विद्यार्थियों में फिर जगी उम्मीद

पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा में हिंदी, उर्दू व संताली भाषा को फिर शामिल करने की मांग पर आसनसोल के सांसद और तृणमूल कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा की पहल से लाखों गैर बांग्ला माध्यम के विद्यार्थियों की उम्मीद नये सिरे से जग गयी है.

आसनसोल.

पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा में हिंदी, उर्दू व संताली भाषा को फिर शामिल करने की मांग पर आसनसोल के सांसद और तृणमूल कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा की पहल से लाखों गैर बांग्ला माध्यम के विद्यार्थियों की उम्मीद नये सिरे से जग गयी है. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी जब डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा में हिंदी, उर्दू और संताली भाषा फिर शामिल नहीं किया गया तो कुछ दिनों तक कुछ संगठन व लोगों ने आवाज उठायी, लेकिन कुछ भी हलचल न होने से लोगों ने इसे भगवान भरोसे छोड़ दिया और यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया. सांसद श्री सिन्हा ने इस मुद्दे पर खुद आगे बढ़कर प्राभात खबर से संपर्क किया और मामले की पूरी जानकारी लेकर अपने स्तर से पहल करते ही लाखों विद्यार्थियों की उम्मीद फिर जग गयी है कि शायद इस बार कुछ न कुछ होगा. सांसद श्री सिन्हा ने बताया कि वे इस मामले को लेकर राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजे है और कुछ मंत्रियों से भी बात हुई है. जरूरत पड़ी तो हाईकमान से भी इस मुद्दे पर बात की जाएगी. मुख्यमंत्री के घोषणा के बावजूद इसपर अमल क्यों नहीं हुआ? यह चिंता का विषय है. सांसद के पहल को लेकर सोमवार को प्रभात खबर में छपी खबर के बाद भारी संख्या में लोगों ने अखबार के प्रतिनिधियों से संपर्क किया और इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए आभार जताया. कुछ संगठनों ने भी संपर्क किया और वे लोग सांसद से मिलकर अपनी इस समस्या को लेकर उन्हें ज्ञापन सौंपने की तैयारी की बात कही. सांसद श्री सिन्हा ने बताया कि वे दिल्ली में हैं और अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में आसनसोल आएंगे. उस दौरान वे लोगों से इस मुद्दे पर बात भी करेंगे. गौरतलब है कि 15 मार्च 2023 को राज्य सरकार की प्रशासनिक सुधार विभाग ने सिविल सर्विस (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा को लेकर संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन जारी किया. जिसमें मेंस परीक्षा के पेपर-ए से हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को हटाकर सिर्फ बांग्ला और नेपाली को रखा. नेपाली भाषा सिर्फ हिल एरिया के नागरिकों के लिए ही लागू है. इस नोटिफिकेशन से लाखों हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के विद्यार्थियों का डब्ल्यूबीसीएस अफसर बनने का सपना समाप्त हो गया. क्योंकि 300 नम्बर के लैंगुएज पेपर सिर्फ बांग्ला भाषा में ही देना होगा. सारे सवाल कक्षा दस के स्टैंडर्ड का होगा और 30 फीसदी अंक लाना अनिवार्य है. जो गैर बांग्ला माध्यम विद्यार्थियों के लिए लगभग नामुमकिन है. प्राभात खबर ने इस मुद्दे को पूरे जोर-शोर से उठाया और राज्यभर में इसके खिलाफ मुहिम शुरू हुआ. लोकसभा चुनाव के पहले 11 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवान्न (राज्य सचिवालय) में अयोजिति एक पत्रकार सम्मेलन में घोषणा किया कि राज्य सिविल सर्विस और राज्य पुलिस सर्विस की परीक्षा में उर्दू, संताली और हिंदी को शामिल किया गया. चुनाव बाद राज्य पब्लिक सर्विस कमीशन ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें कहा गया कि वर्ष 2024 का सिविल सर्विस (एक्जीक्यूटिव) परीक्षा पुरानी पाठ्यक्रम के आधार पर होगा. वर्ष 2025 की परीक्षा 15 मार्च 2023 को जारी नोटिफिकेशन के तहत नये पैटर्न और पाठ्यक्रम के आधार पर होगा. जिसे लेकर 24 जुलाई 2024 को संशोधित गैजेट नोटिफिकेशन जारी हुआ . जिसमें हिंदी, उर्दू और संताली भाषा को शामिल नहीं किया गया.

सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की पहल पर हिंदी, उर्दू व संताली माध्यम के विद्यार्थियों में जगी उम्मीद

प्राभात खबर ने इस मुद्दे को लेकर मुहिम शुरू किया. पूरे राज्यभर से लोगों का समर्थन मिला. आसनसोल के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा भी इस मुद्दे से अवगत होने के बाद वे खुद प्राभात खबर से संपर्क करके पूरे मामले की जनाकारी ली. अपने बेबाक बयानों के कारण हमेशा चर्चा में रहे श्री सिन्हा की यह खासियत रही है कि वे अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहने में कभी संकोच नहीं करते.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर हर सभा में उनका बयान रहता है कि ममता जो बोलती है वह करती हैं. लेकिन इसबार नवान्न में उनकी घोषणा के बावजूद भी डब्ल्यूबीसीएस में हिंदी, उर्दू और संताली भाषा के शामिल नहीं होने पर सांसद थोड़े चिंतित हैं. उन्होंने खुद आगे बढ़कर इस मुद्दे पर पहल की. उनका यह प्रयास हिंदी, उर्दू और संताली माध्यम के विद्यार्थियों को उनका पहले का अधिकार क्या दिला पायेगा? यह आनेवाला समय बताएगा.

सांसद के प्रयास पर लोग देने लगे बधाई

डब्ल्यूबीसीएस में हिंदी, उर्दू और संताली को फिर शामिल करने की मांग पर सांसद की पहल का बुद्बिजीवी वर्ग ने स्वागत किया है. प्रभात खबर में यह खबर प्रकाशित होने के बाद भारी संख्या में लोगों ने मैसेज भेजा और सांसद के इस पहल के लिए प्रभात खबर की भूमिका को सराहा. प्रख्यात साहित्यकार सृजन ने कहा कि मातृ और पितृ ऋण के अलावा भाषा का भी ऋण होता है. सांसद की यह पहल साबित करती है कि वे इस विषय को लेकर सजग हैं. उनके प्रयास से लाखों विद्यार्थियों का डब्ल्यूबीसीएस परीक्षा में बैठेने और अफसर बनने का सपना साकार हो सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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