आसनसोल. शिल्पांचल में कोयला कारोबार पर सिंडिकेट फिर से सक्रिय हो गया है. इसीएल के ई-ऑक्शन के कारोबार से रंगदारी टैक्स के रूप में एक हजार करोड़ रुपये से अधिक उगाही करने के लक्ष्य को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है. पांच लोगों को शिल्पांचल का दायित्व दिया है. यह लोग हर कोलियरियों में अपने गुर्गों की नियुक्ति कर रहे है. गुर्गों का आधार कार्ड के साथ बायोडेटा तैयार किया जा रहा है. जिसकी सूची नीचे से उपर तक सभी के पास होगी, ताकि दूसरा कोई आकर रंगदारी न वसूल सके. सभी जगहों पर मैसेज भी जारी कर दिया है कि सिंडिकेट पुनः अपना काम शुरू कर रहा है. ई-ऑक्शन में बोली लगाने वाले उसी हिसाब से बोली लगायें.
गौरतलब है कि शिल्पांचल में अवैध कोयला का कारोबार कोई नया नहीं है. यहां 1350 करोड़ रुपये के कोयला घोटाले का मामला सीबीआइ अदालत में चल रहा है. सीबीआइ तीन चार्जशीट जमा कर चुकी है. इसके बाद भी कोयले का अवैध कारोबार बंद नहीं हुआ. 21 नवम्बर 2024 को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवान्न में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान शिल्पांचल में कोयला, बालू, जमीन के अवैध कारोबार को लेकर नाराजगी जताते ही पुलिस प्रशासन एक्शन मोड में आ गयी और कार्रवाई शुरू हुई. जिसमें आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट के दो दबंग पुलिस आधिकारियों पर गाज गिरी, अवर निरीक्षक पद के एक अधिकारी को सस्पेंड किया गया और निरीक्षक पद के अधिकारी को कमल्सरी वेटिंग में डाला गया. कोयला, बालू और जमीन कारोबारियों पर भी गाज गिरी. उस समय से सिंडिकेट का काम बंद हो गया था, हालांकि अवैध कारोबार जारी था. जिसे लेकर विभिन्न थानों में प्रतिदिन मामला दर्ज होता है. अब सिंडिकेट ने अपना काम फिर से चालू किया है.कैसे चलेगा सिंडिकेट का काम, कहां के लिए कितना तय किया है रेट
सीबीआइ ने जो मामला किया था उसमें अवैध खनन और करोबार का था. इस अवैध कारोबार में काफी खतरा था. कोयला काटना, उसे निकालकर बेचना आदि के काफी झमेले थे. इसबार जो सिंडिकेट का धंधा चलेगा, उसमें यह सारे खतरे नहीं हैं. इसीएल के ई-ऑक्शन का जो कोयला निकलेगा उसपर रंगदारी टैक्स लगा दिया गया है. यह कारोबार पहले भी चला था, जो मुख्यमंत्री के नाराजगी के बाद बंद हो गया था. इसमें ई-ऑक्शन में कोयला खरीदने वाले कारोबारी जब कोयला लेने आएंगे तो उन्हें प्रति टन के हिसाब से सिंडिकेट को रंगदारी टैक्स देना होगा. अन्यथा वे कोयला उठा नहीं पाएंगे. कोयला उठाने की उनकी समय सीमा समाप्त हो जाएगी और अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (इएमडी) 150 रुपये प्रति टन के हिसाब से जो जमा है वह चला जाएगा. ऐसे में उन्हें कोयला उठाना है तो रंगदारी टैक्स देना होगा. इसीएल से कोयला रोड और रेल दो माध्यमों से जाता है. सिंडिकेट ने जो मूल्य निर्धारित किया है, उसमें रोड सेल पर 1650 रुपये से 2250 रुपये तक और रेलवे रैक पर 400 से हजार रुपये तक प्रति टन देना होगा. यह रेट विभिन्न कोलियरियों में विभिन्न प्रकार की होगी.
अंडाल थाने में दर्ज हुई थी रंगदारी वसूली की शिकायत
21 जनवरी 2025 को अंडाल थाने में कोयले के उठाव पर प्रति टन 1050 रुपये रंगदारी मांगने को लेकर प्राथमिकी दर्ज हुई थी. जिसमें रानीगंज इलाके के निवासी नरेश राम को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था. आठ जनवरी 2025 को बंकोला एरिया सुराक्ष विभाग द्वारा अंडाल थाने में शिकायत दर्ज करायी गयी थी कि रेलवे साइडिंग में यूटिलिटी ब्रिकवेट्स प्राइवेट लिमिटेड के रैक में कोयला लोडिंग कुछ अज्ञात लोगों ने रोक दिया है. यहां रंगदारी नहीं देने से घंटो रैक रोक दिया गया था. जिसके खामियाजा संस्था को उठाना पड़ा. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद रैक लोड हुआ. हालांकि रंगदारी देनी पड़ी थी.
इसीएल के बंगाल क्षेत्र की कोलियरियों से 108 लाख टन कोयले की नीलामी बाकी
कोल इंडिया में कोयला दो माध्यमों से ग्राहकों तक पहुंचता है. एक लिंकेज के माध्यम से और दूसरा ई-ऑक्शन के माध्यम से. लिंकेज का कोयला बड़े-बड़े पवार प्लांट, स्टील प्लांट आदि में फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट के तहत भेजा जाता है. इसकी कीमत कुछ कम होती है. ऑक्शन में कोयले की कीमत काफी अधिक होती है. नियमानुसार कोल इंडिया अपने कुल कोयला उत्पादन का अधिकतम 40 फीसदी तक कोयला ही ई-ऑक्शन के जरिये बेच सकती है. इसके आधार पर इसीएल के कुल 13 एरिया में स्थित 78 खदानों में इसबार कोयला उत्पादन का लक्ष्य 540 लाख टन का है. जिसमें झारखंड में स्थित राजमहल में 180 लाख टन, एसपी माइन्स (चित्रा) में 16 लाख टन और मुगमा में 18 लाख टन है. बाकी का सारा कोयला पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और पश्चिम बर्दवान जिला में स्थित खदानों से करना है. झारखंड के तीनों एरिया के खदानों को हटा देने पर बंगाल में स्थित खदानों के करीब 340 लाख टन कोयले का उत्पादन 31 मार्च 2026 तक करना है. जिसमें से अबतक 20 फीसदी ही उत्पादन हुआ है. इस रेसियो से अभी करीब 272 लाख टन कोयला उत्पादन बंगाल में स्थित कोलियरियों को करना है. कुल उत्पादन पर 40 फीसदी के हिसाब से 108 लाख टन कोयले ई-ऑक्शन के जरिये बिकेगा. 108 लाख टन में से 60 फीसदी रोड सेल और 40 फीसदी रेलवे रैक से निकलेगा. रंगदारी टैक्स के जरिये सारा कुछ काट-कूट कर कम से कम 1000 हजार करोड़ रुपये की वसूली होना एक सामान्य प्रक्रिया है.
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