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कोर कमेटी बैठक पर संशय, थे जेबीसीसीआइ सचिव
सीआइएल के निदेशक (कार्मिक व औद्योगिक संबंध) आर मोहनदास को हटाने से बनी जटिलता सीआइएल के निदेशक (कार्मिक व औद्योगिक संबंध) आर मोहनदास को हटाये जाने के बाद वेतन समझौते की प्रक्रिया बाधित हो गयी है. जेवीसीसीआइ सचिव होने के कारण उनका दायित्व अधिक था. उनका प्रभार निदेशक मार्केटिंग एसएन प्रसाद को मिला है. इस […]
सीआइएल के निदेशक (कार्मिक व औद्योगिक संबंध) आर मोहनदास को हटाने से बनी जटिलता
सीआइएल के निदेशक (कार्मिक व औद्योगिक संबंध) आर मोहनदास को हटाये जाने के बाद वेतन समझौते की प्रक्रिया बाधित हो गयी है. जेवीसीसीआइ सचिव होने के कारण उनका दायित्व अधिक था. उनका प्रभार निदेशक मार्केटिंग एसएन प्रसाद को मिला है. इस स्थिति में बैठक पर संशय हो गया है.
आसनसोल : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) के निदेशक (कार्मिक व औद्योगिक संबंध) आर मोहनदास को उनके पद से हटाये जाने के बाद आगामी सात-आठ अप्रैल को दसवीं जेबीसीसीआई की सब कमेटी की दो दिवसीय बैठक का स्थगित होना तय हो गया है. हालांकि इसके पहले ही प्रबंधन ने इसकी तिथि 12-13 अप्रैल करने का प्रस्ताव दिया है. इसे ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है. उन्होंने पूर्ण जेबीसीसीआइ की बैठक बुलाने का प्रस्ताव दिया है. उनका आरोप है कि प्रबंधन जानबूझ कर इस मामलो को लंबित कर रहा है.
सनद रहे कि सीआइएल के कंपनी सचिव एम विश्वनाथन ने मुबई स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया है कि कंपनी के निदेशक (कार्मिक सह औद्योगिक संबंध) आर मोहनदास को कोयला मंत्रलय के आदेश पर 31 मार्च से हटा दिया गया है. समद रहे कि उनका कार्यकाल आगामी 31 मई तक था. दो महीने पहले ही उन्हें इस पद से हटाये जाने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. श्री मोहनदास जेबीसीसीआइ के सचिव भी थे. कोर कमेटी की बैठक में उनकी उपस्थिति काफी जरूरी होती थी. पिछले दस वर्ष से वे इस पद पर कार्यरत थे. सेवा समाप्ति के बाद भी सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार दिया था.
दसवें राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौते को लेकर कोर कमेटी की बैठक सात-आठ अप्रैल को दिल्ली में होनी थी.दो दिन पूर्व प्रबंधन ने बैठक की तिथि एक सप्ताह और बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था. यूनियन नेताओं ने प्रबंधन की नीयत पर सवाल उठाते हुए सब कमेटी की बैठक की तिथि बढ़ाने का विरोध किया तथा इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया. नेताओं ने दो टूक कहा कि अब सब कमेटी की नहीं, जेबीसीसीआइ की पूर्ण बैठक बुलायें. यूनियन नेताओं के अनुसार कंपनी के चेयरमैन और डीएफ रिटायर होनेवाले है. कार्मिक निदेशक की सेवा समाप्त ही हो गयी है. इसलिए वेतन समझौता में जान बूझकर विलंब किया जा रहा है.
बैठक की तिथि बढ़ाने की पुष्टि करते हुए कोल इंडिया के अधिकारिक सूत्र ने बताया कि कोल इंडिया के निदेशक (वित्त) विदेश में है. इस कारण प्रबंधन बैठक की तिथि बढ़ाना चाहता है. वहीं भरेासेमंद सूत्र बताते है कि सब कमेटी की पिछली बैठक में यूनियन नेताओं द्वारा कंपनी के उत्पादन, लाभ हानि के बारे में दिये आंकड़े का जबाब प्रबंधन के पास नहीं है.जेबीसीसीआइ सदस्य रमेंद्र कुमार(एटक) ने कहा कि अब जेबीसीसीआई की बैठक होनी चाहिए. बहुत देर हो गयी है. प्रबंधन गंभीर नहीं है. सभी यूनियनों से बात हुयी है.
सब कमेटी की बैठक होगी तो यूनियन प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे.जेबीसीसीआइ सदस्य डीडी रामानंदन (सीटू) ने कहा कि सब कमेटी की बैठक होली के तुरंत बाद होनी थी. इतनी देर बाद तिथि तय हुयी. अब फिर से डेट आगे करने का खेल नहीं चलेगा. जेबीसीसीआई की बैठक हो. प्रबंधन के इस रुख के खिलाफ जल्द ही सभी यूनियनों की बैठक होगी.जेबीसीसीआइ सदस्य नत्थुलाल पांडे(एचएमएस) ने कहा कि सब कमेटी के गठन का उन्होंने विरोध किया था. एक बैठक के बाद दूसरी बैठक नहीं होनी चाहिए थी. प्रबंधन वेतन समझौता को लेकर गंभीर नहीं है. अब जेबीसीसीआई की बैठक हो.
सीआइएल में इ-7 से इ-6 में डिमोट अधिकारियों को मिलेगी प्रोन्नति
आसनसोल. कोलकाता हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में इ-7 से इ-6 ग्रेड में डिमोट हुए कोयला अधिकारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है. इस बावत कोल इंडिया के महाप्रबंधक (कार्मिक) विजय स्वरुप के हस्ताक्षर से अधिसूचना जारी कर दी गयी है. इसके अनुसार कोल इंडिया के करीब आठ सौ से अधिक डिमोट हुए अधिकारियों को पुन: इ-7 ग्रेड में प्रमोट किया जायेगा.
सनद रहे कि कोल इंडिया में पहले जो पदोन्नति नीति लागू थी. इससे पहले से कार्य कर रहे अधिकारी वरीयता क्रम में रहते थे. वर्ष 2011 में कोल इंडिया प्रबंधन ने इसमें बदलाव कर मेरिट कम सीनियरिटी के तहत पदोन्नति का आदेश निकाला.
परंतु 2012 में कोल इंडिया प्रबंधन ने पुरानी नीति (सीनियरिटी कम मेरिट) के आधार पर ही पदोन्नति दे दी. बाद में वर्ष 2013 में अधिकारियों को नयी प्रमोशन नीति के तहत पदोन्नति दी जाने लगी. इससे कई सीनियर अधिकारी जुनियर हो गये. कोल इंडिया प्रबंधन ने वर्ष 2013 में 156 अधिकारियों को मेरिट कम सीनियरिटी के आधार पर इ-6 से इ-7 में पदोन्नति दी थी. इससे 156 वरीय अधिकारी पदोन्नति से वंचित हो गये थे. वंचित अधिकारियों ने कोलकाता हाइकोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी.
वर्ष 2015 में कोर्ट के सिंगल बेंच का फैसला आया कि सीनियर को पदोन्नति दी जाये व जूनियर को डिमोट किया जाये. इसके विरोध में प्रबंधन ने 2015 में ही हाइ कोर्ट के डबल बेंच में अपील दायर की थी. केस कमजोर होता देख प्रबंधन ने वर्ष 2016 में सिंगल बेंच के आदेश को लागू करते हुए जुनियर को डिमोट व सीनियर अधिकारियों को प्रमोट कर दिया था. इसके विरोध में डिमोट हुए जुनियर अधिकारियों ने हाईकोर्ट के डबल बैंच में अपील की थी.
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