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दस दिनों का होगा नवरात्र, इस बार अश्व पर आयेंगी देवी

घरों और पूजा पंडालों में पूजा को लेकर तैयारियां आरंभ दुर्गापुर : साधना व आराधना का पवित्र पर्व शारदीय नवरात्र शुरू होने में महज 13 दिनों का समय शेष है. ऐसे में घरों और पूजा पंडालों में पूजा को लेकर तैयारियां आरंभ कर दी गई हैं. पूजा-पंडाल मे मूर्ति निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. […]

घरों और पूजा पंडालों में पूजा को लेकर तैयारियां आरंभ

दुर्गापुर : साधना व आराधना का पवित्र पर्व शारदीय नवरात्र शुरू होने में महज 13 दिनों का समय शेष है. ऐसे में घरों और पूजा पंडालों में पूजा को लेकर तैयारियां आरंभ कर दी गई हैं.

पूजा-पंडाल मे मूर्ति निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. इधर इस वर्ष 10 दिनों की पूजा लगने से लोगों में पूजा को लेकर विशेष उत्साह है. नौ दिन तक चलने वाले नवरात्र में दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. देवी मां की पूजा के साथ ही लोग उपवास रखते हैं, लेकिन इस बार नवरात्र नौ दिन के स्थान पर दस दिन का होगा. नौ दिन तक चलने वाले नवरात्र में दुर्गा के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है. यूं तो शारदीय नवरात्र नौ दिन के होते हैं.

तिथि घटने पर किसी वर्ष आठ दिन के भी हो जाते हैं, लेकिन इस बार शारदीय नवरात्र दस दिन तक चलेंगे. एक से 10 अक्तूबर तक शारदीय नवरात्र रहेगा. शनिवार को कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जायेगी. दो अक्तूबर को सुबह 5.53 से द्वितीया तिथि लग रही है जो तीन अक्तूबर की सुबह 7.44 तक चलेगी. सूर्योदय के बाद इसके खत्म होने के कारण पूरा दिन द्वितीया तिथि मानी जायेगी. इसी कारण इस बार नवरात्र दस दिन का रहेगा. सात को बेलभरनी व आठ को मां की प्रतिमा स्थापित होगी. सात अक्तूबर शुक्रवार को षष्ठी तिथि है. संध्या 5.50 तक विल्वा निमंत्रण की पूजा होगी. शनिवार को मूल नक्षत्र अपराह्न 1.42 बजे तक और सप्तमी तिथि संध्या 4.46 बजे तक है. इसी दौरान पंडालों में मां की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी तथा श्रद्धालुओं के लिए पट खोल दिया जायेंगे. पंडितों का कहना है कि ऐसा संयोग बहुत दिनों बाद हुआ है.

पूजा एक अक्तूबर से आरंभ होकर 11 अक्तूबर को हवन के साथ समाप्त होगी. प्रतिमाएं 12 अक्तूबर को िवसर्जित की जायेंगी. हृषिकेश पंचांग के अनुसार शेरावाली मां इस वर्ष अश्व पर सवार होकर आयेंगी और मुर्गा पर प्रस्थान करेंगी. पंडित मां का अश्व पर सवार होकर आने और मुर्गे पर जाने को शुभ नहीं मान रहे हैं. उनका कहना है कि मैया के इस प्रकार आने और जाने से युद्ध से लेकर भूकम्प तक की संभावना बढ़ जाती हैं. अश्विन शुक्ल प्रतिपदा शनिवार को अभिजित मुहूर्त में मध्याह्न 11.36 से 12.24 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है. प्रतिपदा तिथि सुबह से लेकर शाम 5.53 बजे तक है. पंडितों का कहना है कि श्रद्धालुओं को शुभ मुहूर्त में ही कलश की स्थापना करनी चािहये.

महत्वपूर्ण तिथियां

एक अक्तूबर- कलश स्थापना, सात अक्टूबर- बेल भरनी, आठ अक्तूबर- सप्तमी पूजा, नौ अक्तूबर- महाष्टमी व्रत, 10 अक्तूबर-महानवमी पूजा, 11 अक्तूबर- विजयादशमी के साथ शस्त्र पूजा.

पार्टी कार्यालय को बनायें जन सेवा केंद्र

वार्ड 94 में धेनुआ मोड़ पर तृणमूल कार्यालय का उद् घाटन किया मंत्री मलय ने

आयोजित रक्तदान शिविर में 50 यूनिट रक्त संग्रह, बर्नपुर अस्पताल के ब्लड बैंक में जमा

बर्नपुर. वार्ड संख्या 94 अंतर्गत धेनुआ मोड़ में स्थित तृणमूल कार्यालय का उद्घाटन रविवार को राज्य के श्रम सह विधि व न्याय मंत्री मलय घटक ने किया. इसके साथ ही रक्तदान शिविर भी लगाया गया. मौके पर स्थानीय विधायक सह अड्डा चेयरमैन तापस बनर्जी, पार्षद सोना गुप्ता, पार्षद विनोद यादव, मेयर परिषद सदस्य (शिक्षा) अंजना शर्मा, मेयर परिषद सदस्य (क्रीड़ा व संस्कृति) अभिजीत घटक, मेयर परिषद सदस्य (सेनेटरी ) लखन ठाकुर, पार्षद गुरूदास चटर्जी, पार्षद ममता मंडल, पार्टी नेता काजल लायक, सपन चट्टराज, धिरेन मंडल, सहदेव लायक, अशोक साधु, अशोक दत्त आदि उपस्थित थे. मंत्री श्री घटक ने कहा कि पार्टी कार्यालय का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए. लोगो के भलाई के काम होना चाहिए. पार्टी कार्यालय बहुत ही अच्छे स्थान पर है. इससे बांकुड़ा से आने वाले लोगों के लिए रात में नाव सेवा नहीं मिलने पर पार्टी कार्यालय में आश्रय मिल जायेगा. पार्टी कार्यालय का निर्माण समाज सेवा के लिए किया जाता है. निजी स्वार्थ के लिए कोई भी काम नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस कार्यालय में पार्टी कर्मियों को नियमित रूप से न सिर्फ उपस्थित होना होगा, बल्कि समस्या लेकर आनेवाले नागरिकों की समस्या का समाधान भी करना होगा.

अड्ड़ा चेयरमैन श्री बनर्जी ने कहा कि पार्टी कार्यालय पार्टी गतिविधियों के संचालन के साथ ही साथ राज्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार -प्रसार का सशक्त माध्यम भी होता है. इस कारण इस कार्यालय को अड्डाबाजी का केंद्र नहीं बना कर जन सेवा का केंद्र बनना चाहिए. इस दौरान रक्तदान शिविर का आयेाजन किया गया. जिसमें कुल 50 यूनिट रक्त संग्रह हुआ. जिसे बर्नपुर अस्पताल के ब्लड बैंक में जमा कराया गया.

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