विभिन्न नदी-तालाबों के घाटों पर लाकों ने दिया पितरों को तर्पण
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महालया में महिषासुरमर्दिनी पाठ से खुली आंख
विभिन्न नदी-तालाबों के घाटों पर लाकों ने दिया पितरों को तर्पण ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने से प्राप्ति होती है उन्हें मोक्ष की दुर्गापुर : शिल्पांचल के विभिन्न इलाकों में शनिवार को पितृपक्ष के समापन पर विभिन्न नदी, तालाब घाटों पर स्नान के बाद पितरों को तर्पण किया गया. देवी के आगमन (महालया) पर बड़ी […]
ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने से प्राप्ति होती है उन्हें मोक्ष की
दुर्गापुर : शिल्पांचल के विभिन्न इलाकों में शनिवार को पितृपक्ष के समापन पर विभिन्न नदी, तालाब घाटों पर स्नान के बाद पितरों को तर्पण किया गया. देवी के आगमन (महालया) पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उन्हें जल अर्पित किया.
सुबह से ही लोग नदी घाटों और जलाशयों के तटों पर जुटे. पितरों को तर्पण देने का सिलसिला शुरू हुआ. बारिश के कारण लोगो को काफी असुविधा हुई. पुरोहित भी बड़ी संख्या में सक्रिय रहे.
वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अपनेपूर्वजों को तर्पण किया. भिरंगी काली मंदिर परिसर में स्थित घाट पर भी लोगो की काफी भीड़ रही. मंदिर के पुजारी अमित मुखर्जी ने बताया कि हिन्दू शास्त्र के तहत आश्विन कृष्णपक्ष अमावश्या को तर्पण करने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. श्राद्ध पक्ष की अमावश्या पर कुछ विशेष उपाय करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष भी कम होता है.
महालया और पितृपक्ष के समापन पर घाटों पर भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गये थे.रेडियो तथा टीवी पर ‘या देवी सर्वभूतेषू’ महिषासुरमर्दिनी के मंत्रोच्चारण के साथ शिल्पांचल में सुबह आई. आकाशवाणी व दूरदर्शन पर पंडित वीरेन्द्र कृष्ण भद्र की सुरीली आवाज में वाणी कुमार की रचित कार्यक्रम महिषासुरमर्दिनी का प्रसारण सुनने के बाद लोग दुर्गोत्सव के उमंग में डूब गये. जम कर आतिशबाज़ी की गई.
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