ट्रांसपोर्टर व ट्रांसपोर्ट से जुड़े व्यवसायियों में दिन-प्रतिदिन प्रशासन की अनदेखी के कारण आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है
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अंचल के ट्रांसपोर्टर सरकार को लगा रहे करोड़ों के राजस्व का चूना
ट्रांसपोर्टर व ट्रांसपोर्ट से जुड़े व्यवसायियों में दिन-प्रतिदिन प्रशासन की अनदेखी के कारण आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है रानीगंज : रानीगंज के पंजाबी मोड़ तथा आसपास के दर्जनों फर्जी ट्रांसपोर्टर, ट्रांसपोर्ट कार्यालय खोल कर राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर ट्रांसपोर्टर इस स्थिति को देखते हुए […]
रानीगंज : रानीगंज के पंजाबी मोड़ तथा आसपास के दर्जनों फर्जी ट्रांसपोर्टर, ट्रांसपोर्ट कार्यालय खोल कर राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर ट्रांसपोर्टर इस स्थिति को देखते हुए आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक विशेषकर झारखंड के ट्रांसपोर्टर रानीगंज आमरासोता, पंजाबी मोड़, मंगलपुर, बांसड़ा, इलाके में फर्जी ट्रांसपोर्ट कार्यालय खोल कर खुलेआम नगर निगम को चूना लगा रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर इस अंचल के ट्रांसपोर्टरों की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगा दिया है. पिछले वर्ष 17 जुलाई 2018 को केंद्र सरकार ने ट्रांसपोर्टरों एवं ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोगों को सहयोग का अवसर देते हुए कमर्शियल गाड़ियों में 25 फ़ीसदी अधिक क्षमता लोडिंग की कर दी गयी है, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने इस मोटर ह्विकल नियम को अपने राज्य में लागू नहीं की किया है.
फलस्वरूप दूसरे प्रांतों के वाहन चालक यहां आकर इसका लाभ भरपूर उठा रहे हैं. इस महंगाई के दौर में यहां के ट्रांसपोर्टर प्रतिस्पर्धा के इस दौर में रास्ते पर आ गये हैं, लेकिन इस क्षेत्र के अनेकों ट्रांसपोर्ट व्यवसायी अपने वाहनों का रजिस्ट्रेशन झारखंड, नागालैंड, पंजाब प्रांत से बदली करवा कर उन राज्यों के नंबर ले लिये हैं.
सूत्रों का कहना है कि इस प्रक्रिया से एक तरफ फर्जी ट्रांसपोर्टरों के पास कॉरपोरेशन की ओर से जारी किया गया ट्रेड लाइसेंस तक नहीं है, वहीं इस राज्य का राजस्व का भी चुना करोड़ों में लगा रहे हैं. ट्रांसपोर्टरों की ओर से स्थानीय ट्रांसपोर्टर ज्योति सिंह ने बताया की स्थिति यह बनी हुई है कि पंजाबी मोड़, मंगलपुर अंचल में सैकड़ों बंगाल नंबर वाले वाहन कतारबद्ध तरीके से महीनों से खड़े हैं. ट्रांसपोर्टर एवं ट्रांसपोर्ट से जुड़े व्यवसायियों में दिन-प्रतिदिन प्रशासन की अनदेखी के कारण आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है.
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