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मशीन के सामने लेट गये आंदोलनकारी

गतिरोध : कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी जमीन पर कब्जा नहीं ले सकी इसीएल कोर्ट के निर्देश के बाद भी उपस्थित नहीं थे पुलिस, प्रशासन के अधिकारी मशीन के साथ बैरंग लौटने के लिए मजबूर हुए अधिकारी, हुई भारी निराशा मोहनपुर कोलियरी के विस्तार के लिए उपरोक्त जमीन जरूरी, बंदी की आशंका पुलिस, […]

गतिरोध : कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी जमीन पर कब्जा नहीं ले सकी इसीएल

कोर्ट के निर्देश के बाद भी उपस्थित नहीं थे पुलिस, प्रशासन के अधिकारी

मशीन के साथ बैरंग लौटने के लिए मजबूर हुए अधिकारी, हुई भारी निराशा

मोहनपुर कोलियरी के विस्तार के लिए उपरोक्त जमीन जरूरी, बंदी की आशंका

पुलिस, प्रशासन के असहयोग को देख कर पुन: कोर्ट जा सकती है कोयला कंपनी

रूपनारायणपुर : कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में मोहनपुर कोलियरी के विस्तार के लिए पहाड़गोड़ा में जमीन पर कब्जा लेने गए सालानपुर एरिया प्रबंधन के अधिकरियों को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. अधिकारी मशीन लेकर वैरंग वापस लौट गये. क्षेत्रीय महाप्रबंधक प्रशांत कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पुलिस और प्रशासन को भी जमीन पर कब्जा लेने में सम्पूर्ण सहयोग करने का दिशा-निर्देश दिया है.

सूचना देने के बावजूद भी पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मंगलवार को जमीन पर कब्जा लेने में कोई सहयोग नहीं किया और ग्रामीणों के उग्र विरोध के कारण अधिकारी वापस लौट आये. पुलिस और प्रशासन से अपेक्षित सहयोग न मिलने को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है. जरूरत पड़ी तो इस मुद्दे पर पुनः हाई कोर्ट में अपील की जायेगी.

सनद रहे कि सालानपुर एरिया अंतर्गत मोहनपुर कोलियरी के विस्तार के लिए प्रबंधन को कोल बियरिंग एक्ट (सीबीए) के तहत पहाड़गोड़ा मौजा में 57.71 एकड़ जमीन वर्ष 2012 में मिली. इस जमीन पर बसे 38 परिवारों को मुआवजा देकर जमीन पर अधिग्रहण करना था. कंपनी ने कुल 21 परिवारों को मुवावजा देकर 27 एकड़ जमीन पर कब्जा कर चुकी है. बचे हुए 17 परिवारों में से 12 परिवारों के बीच आपस में जमीन विवाद को लेकर टाईटल सूट का मामला जिला अदालत में चल रहा है. जिसमें इसीएल प्रबंधन को भी पक्ष बना दिया है.

टाईटल सूट के मामले में वर्ष 2015 में अदालत ने निर्णय दिया कि उक्त जमीन पर किसी प्रकार की मुआवजा की राशि भुगतान नहीं किया जा सकेगा. कंपनी ने इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए कहा कि जमीन सीबीए में उसे मिल चुकी है.

12 परिवारों की सात एकड़ जमीन को लेकर आपसी विवाद के कारण जमीन न मिलने से खदान बंद होने के कगार पर है. उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को आदेश दिया कि उक्त जमीन की कुल मुआवजा की राशि अदालत में जमा कर कंपनी जमीन पर अपना कब्जा ले सकती है. अदालत ने जमीन पर कब्जा करने में पुलिस और प्रशासन को सहयोग करने का दिशा-निर्देश दिया. उच्च न्यायालय के इस आदेश पर कंपनी ने 12 परिवारों के घर और कुल जमीन की मुआवजा राशि 2,84,60,516 रुपये अदालत में जमा करा दिया.

महाप्रबंधक श्री कुमार ने बताया कि राशि जमा करने के बाद जमीन पर मंगलवार को कब्जा करने के लिए पुलिस और प्रशासन को सूचित किया गया. मंगलवार को कंपनी के अधिकारी मशीन लेकर जमीन पर कब्जा करने गए तो पुलिस और प्रशासन से कोई भी नहीं आया. ग्रामीणों के उग्र विरोध को देखते हुए सभी वापस लौट गये.

ग्रामीणों का कहना है कि उनकी जमीन के बंटवारे को लेकर अदालत में मामला चल रहा है. मुआवजा की राशि सेंट्रल पर वेजेज (सीपीडब्ल्यू) 2012 के आधार पर दी जा रही है. जो काफी कम है. ग्रामीणों की मांग है कि प्रत्येक घर से एक व्यक्ति को नौकरी देने पर ही वे लोग अपनी जमीन खाली करेंगे. जबरन जमीन पर कब्जा किया गया तो मशीन के आगे आकर जान दे देंगे.

मंगलवार को भी वे लोग मशीन के आगे लेट गये.ऐसे में पुलिस और प्रशासन के सहयोग के बगैर कम्पनी के लिए जमीन पर कब्जा लेना कठिन चुनौती है.

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