दाह संस्कार के पश्चात नहाने के लिए नहीं मिल रहा स्वच्छ पानी
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नाले में तब्दील हुई सिघारण नदी
दाह संस्कार के पश्चात नहाने के लिए नहीं मिल रहा स्वच्छ पानी कई लौह, इस्पात व स्पंज आयरन के कारखाने से पानी की हो रही किल्लत जामुडिया : जामुड़िया के उद्योगीकरण के पश्चात अब ग्रामीण अंचल के लोगो को दाह संस्कार के बाद नहाने के लिए स्वच्छ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. ग्रामीणों […]
कई लौह, इस्पात व स्पंज आयरन के कारखाने से पानी की हो रही किल्लत
जामुडिया : जामुड़िया के उद्योगीकरण के पश्चात अब ग्रामीण अंचल के लोगो को दाह संस्कार के बाद नहाने के लिए स्वच्छ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि पहले जहां अंचल के स्थानीय लोगो को दाह संस्कार करने के लिए इकड़ा शमशान स्थित सिघारण नदी में पानी साफ सुथरा था. आज स्थिति यह है कि अंचल में कई लौह, इस्पात तथा स्पंज के कारखाने होने से नदी नाले में तब्दील हो गयी है.
प्रदूषण के कारण पानी का रंग लाल हो गया है. ऐसी स्थिति में इस नदी में नहाने से विभिन्न रोगों को जन्म देना है. हालत यह है कि शमशान में दाह संस्कार के बाद लोग अब नहाने के लिए घर चले जाते हैं. हालांकि कारखाना लगाने के पूर्व प्रशासन की उपस्थिति में कारखानों के मालिक ने वादा किया था कि इस सिघारण नदी के पानी को शुद्ध रखने के लिए करखानो के गंदे पानी को इसमें नहीं गिराया जायेगा लेकिन 2011 के बाद सिघारण नदी में कारखानो के लोहे के चूर्ण गिरने से नदी का पानी खून की तरह लाल हो गया है.
आसपास के गांवों के जानवर जब इस सिघारण नदी का पानी पीते हैं तो उनकी मृत्यु हो जाती है. जब मृत जानवर का मुआवजा मांगने जातें हैं तो कारखाना का प्रबंधन धमकी देकर भगा देता हैं. ग्रामीणों का मानना है कुछ दिनों बाद एक ऐसा समय आयेगा की सिघारण नदी इस के अंचल इतिहास के पन्ने में रह जायेगी.
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