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हिंदी के विकास में अपने ही बने बाधक

उखडा आदर्श हिंदी हाई स्कूल में हिंदी दिवस पर संगोष्ठी अयोजित ‘स्कूलों में हिंदी की चुनौतियां’ विषय पर वक्ताओं ने की आलोचना उखड़ा. हिंदी दिवस पर उखडा आदर्श हिंदी हाई स्कूल में ‘स्कूलों में हिंदी की चुनौतियां’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुयी. संचालन शिक्षक डॉ मनोज कुमार सिंह ने किया. संवेद के संपादक किशन कालजयी […]

उखडा आदर्श हिंदी हाई स्कूल में हिंदी दिवस पर संगोष्ठी अयोजित

‘स्कूलों में हिंदी की चुनौतियां’ विषय पर वक्ताओं ने की आलोचना

उखड़ा. हिंदी दिवस पर उखडा आदर्श हिंदी हाई स्कूल में ‘स्कूलों में हिंदी की चुनौतियां’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुयी. संचालन शिक्षक डॉ मनोज कुमार सिंह ने किया. संवेद के संपादक किशन कालजयी तथा डॉ रवि शंकर सिंह ने कहा कि हिंदी की चुनौती अपने ही लोगों से है.

हिंदीभाषियों द्वारा ही ¨हंदी की उपेक्षा किये जाने के कारण सभी प्रमुख स्थानों पर अंग्रेजी भाषा काबिज है. देश के प्रशासनिक कार्यालयों, कोर्ट कचहरी, सरकारी कार्यालयों, सामाजिक स्थलों, पार्टियों एवं समारोहों में लोग अंग्रेजी को प्रमुखता देते हैं. हिंदी बोलने में संकोच करते हैं और अंग्रेजी बोलने में गर्व महसूस करते हैं. हिंदी को पूरी तरह लागू न होने देने के लिए अपने ही जिम्मेवार हैं. हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं को उपर उठने नहीं देने में असहयोग आड़े आ रहा है.

अंग्रेजी समझना सबके लिए आसान और सरल नहीं है. उन्होंने कहा मल्टी नेशनल कंपनियां हिंदी के बाजार को बढावा दे रही हैं. इस मौके को देखते हुए हिंदी को आगे बढाने के लिए सबको प्रतिबद्ध होकर काम करना होगा. हिंदी को लेकर हिन भावना को निकाल फेंकना होगा. उन्होंने कहा कि हिंदी देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, जो देश को एक सूत्र में पिरोती है. उन्होंने कहा भाषा का सवाल किसी देश में संवैधानिक सवाल नहीं है. बदले परिवेश में सांस्कृतिक सवाल भी नहीं है. वैश्वीक स्तर और वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप अब यह तकनीकी, व्यापारिक और समाज के विकास का सवाल बन चला है.

उन्होंने कहा कि बंगाल में बंगला के साथ मलयालम, कन्नड भाषा को भी स्कूलों में पढाना चाहिए. वहीं दक्षिण भारत में वहां की क्षैत्रीय भाषाओं के साथ साथ हंिदूी को एक विषय के रूप में पढाया जाना चाहिए. अंग्रेजी को जानना जरूरी है परंतु अंग्रेजी को अनिवार्य बनाया जाये यह जरूरी नहीं है. स्कूल के प्रधानाध्यापक प्रवीण कुमार सिंह ने अध्यक्षता की तथा अतिथियों को सम्मानित किया. अन्य वक्ताओं में कथाकार शिवकुमार यादव, कुमकुम कालजयी तथा अशोक आशीष शामिल थे.

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