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पंचायत प्रधानों को मोबाइल देगी सरकार

कोलकाता: राज्य सरकार पंचायतों की बैठकों की तसवीर खींच कर पंचायत विभाग को भेजना अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. साथ ही ग्रामवासी अपनी शिकायतें टोल फ्री नंबर पर फोन कर दे सकते हैं. इसके लिए वर्तमान वित्त वर्ष में राज्य को नौ जिले के एक हजार पंचायतों को बिना खर्च मोबाइल फोन राज्य […]

कोलकाता: राज्य सरकार पंचायतों की बैठकों की तसवीर खींच कर पंचायत विभाग को भेजना अनिवार्य करने पर विचार कर रही है. साथ ही ग्रामवासी अपनी शिकायतें टोल फ्री नंबर पर फोन कर दे सकते हैं. इसके लिए वर्तमान वित्त वर्ष में राज्य को नौ जिले के एक हजार पंचायतों को बिना खर्च मोबाइल फोन राज्य सरकार देगी.

राज्य सरकार एक वर्ष के अंदर सभी पंचायतों में यह पद्धति लागू करना चाहती है. राज्य के पंचायत व जन स्वास्थ्य तकनीकी मामलों के मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने बताया कि पंचायतों के काम में और स्वच्छता व गणतांत्रिक व्यवस्था लाने के लिए यह परियोजना शुरू की जा रही है.

उन्होंने कहा कि इंस्टीच्युशनल स्ट्रेंदनिंग ऑफ ग्राम पंचायत परियोजना के तहत 2010 में विश्व बैंक ने राज्य को 920 करोड़ रुपये दिये थे. उस रकम से यह काम होगा. केंद्रीय पंचायत के प्रधान सचिव विजय लक्ष्मी योगी ने अगस्त माह में कोलकाता में राज्य सरकार के साथ बैठक की थी. इस बैठक में केंद्रीय सचिव ने कहा था कि पश्चिम बंगाल को मॉडल कर देश के अन्य राज्यों में यह योजना लागू की जायेगी. उन्होंने कहा कि केवल देश नहीं, बल्कि प्रशांत महासागर के देशों में पश्चिम बंगाल प्रथम है, जो इस तरह का कदम उठा रहा है. श्री मुखर्जी ने कहा कि प्रत्येक बैठकों के निर्णय को पंजीकृत करने के लिए पंचायत प्रधानों को राज्य सरकार मोबाइल फोन देगी. बैठक के समय पंचायत के सचिव बैठक की तसवीर खींच कर रखेंगे.

इसके साथ अनुमोदित परियोजना की भी तसवीर खींच कर रखेंगे. बाद में मोबाइल फोन की तसवीर को वेबसाइट में अपलोड की जायेगी. सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ आम लोग भी उस तसवीर को देख पायेंगे. शिकायत दर्ज कराने के लिए टोल फ्री नंबर पर फोन कर सकते हैं. विभाग की संयुक्त सचिव सोमा पुरकायस्थ के अनुसार इसे बाध्यतामूलक किया जायेगा.

प्रथम चरण में बर्दमान के 20 ग्राम पंचायत में वर्तमान माह में यह काम शुरू होगा. अगले वर्ष मार्च माह तक नौ जिलों के 980 ग्राम पंचायतों के प्रधानों को मोबाइल फोन दिये जायेंगे. ये नौ जिले हैं : बर्दवान, बीरभूम, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर, कूचबिहार, पूर्व व पश्चिम मेदिनीपुर, हावड़ा व नदिया जिला. इस परियोजना के सफल करने के लिए पंचायत विभाग की ओर से पंचायत प्रधानों को प्रशिक्षण दी जायेगी. इसके साथ ही आइएसडीपी परियोजना के तहत सभी पंचायतों को तीन दिनों के अंदर जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र देना अनिवार्य किया जायेगा. रास्ता व निकासी व्यवस्था का निर्माण सहित सभी रूटीन कार्यो के मूल्यांकन के लिए तृतीय पक्ष की नियुक्ति की जायेगी.

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