कोलकाता. सारधा चिटफंड मामले में गिरफ्तार सारधा ग्रुप के मालिक सुदीप्त सेन, तृणमूल से निष्कासित राज्यसभा सांसद कुणाल घोष व देवजानी घोष को गुरुवार को सीबीआइ ने अलीपुर कोर्ट में पेश किया. मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने तीनों को सात जुलाई तक जेल हिरासत में रखने का निर्देश दिया.
सीबीआइ हिरासत में जाने के बाद पहली बार इन तीनों के वकीलों ने अदालत में जमानत के लिए आवेदन किया. जमानत के इस आवेदन का सीबीआइ ने कड़ा विरोध किया. सीबीआइ के वकील का कहना था कि इन तीनों से पूछताछ में काफी जानकारी हासिल हुई है.
अगर इन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया, तो सबूतों को नष्ट किये जाने की आशंका है. इस पर मामले की सुनवाई कर रहे जज हराधन मुखोपाध्याय ने कहा कि इस घोटाले की वजह से कई लोगों ने आत्महत्या की है, इसलिए इन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है. इस बीच जज से अनुमति लेकर कुणाल घोष ने कहा : आपने बिल्कुल सही कहा है.
अब तक कई एजेंट व निवेशक आत्महत्या कर चुके हैं. पर मैं कभी भी एजेंटों की बैठक में शामिल नहीं हुआ था. आखिर जज उन लोगों को अदालत में क्यों नहीं बुला रहे हैं, जिन्होंने एजेंटों की बैठक में भाषण दिया था. या फिर जज उन लोगों को गिरफ्तार करने का निर्देश दें. कुणाल घोष का इशारा राज्य सरकार के एक ताकतवर मंत्री की ओर था. इससे पहले भी वह कई उस मंत्री को गिरफ्तार करने की मांग कर चुके हैं, जो अतीत में सारधा ग्रुप की कई सभाओं में उपस्थित थे. इस दिन भी उस मंत्री का नाम लिये बगैर उन्होंने एक बार उस मंत्री को गिरफ्तार करने की मांग की.
घोटालों के खिलाफ वामो का आंदोलन
सारधा चिटफंड कांड, टीइटी घोटाला व राजनीतिक हिंसा जैसे मुद्दों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर कर आंदोलन ही एकमात्र उपाय है. यह बात माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य डॉ सूर्यकांत मिश्र ने गुरुवार को महानगर के रानी रासमणि एवेन्यू में वाममोरचा द्वारा किये जा रहे धरना प्रदर्शन के दौरान कहीं. धरना प्रदर्शन विगत बुधवार से शुरू हुआ था जो शुक्रवार को समाप्त होगा. माकपा नेता ने कहा कि राज्य में बंद पड़े कल-कारखाने, राजनीतिक हिंसा जैसे कई ऐसे मुद्दे हैं जिसकी वजह से तृणमूल सरकार कटघरे में है. अब इन मुद्दों को लेकर वामपंथी चुप नहीं बैठेंगे.