कोलकाता :पश्चिम बंगाल सरकार ने चुनाव आयोग को लिखकर अनुरोध किया है कि वह पांच पुलिस अधीक्षक और एक जिला मजिस्ट्रेट के तबादले के फैसले पर फिर से विचार करे.
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग के फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि चुनाव आयोग सिर्फ कांग्रेस की सुनता है. ममता ने राज्य के पांच एसपी, एक डीएम और दो एडिशनल जिला मजिस्ट्रेल के हाटाये जाने का आदेश मानने से इनकार कर दिया है .ममता के इस अड़ियल रवैये के कारण बंगाल में लोकसभा चुनाव रद्द हो सकता है.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में निर्वाचन प्राधिकारियों ने बडी कार्रवाई करते हुए पांच पुलिस अधीक्षकों और एक जिला मजिस्ट्रेट को उनके खिलाफ शिकायतें मिलने के बाद चुनाव ड्यूटी से हटा दिया जिससे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नाराज हो गईं और आयोग के आदेश को मानने से इंकार कर दिया. उधर विपक्ष ने उनके इस रवैये की आलोचना की है.
नाराज ममता ने कहा कि जब तक वह मुख्यमंत्री हैं तब तक किसी भी अधिकारी का तबादला नहीं होगा. उन्होंने चुनाव पैनल को अपने खिलाफ कार्रवाई की चुनौती देते हुए कहा कि वह गिरफ्तार होने और जेल जाने के लिए तैयार हैं.
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुनील गुप्ता ने यहां संवाददाताओं को बताया ‘‘चुनाव आयोग ने पांच पुलिस अधीक्षकों और एक जिला मजिस्ट्रेट को उनके खिलाफ शिकायतें मिलने के बाद चुनाव ड्यूटी से हटा दिया है.’’ गुप्ता ने कहा कि चुनाव ड्यूटी से हटाए गए पुलिस अधीक्षकों में आर के यादव (माल्दा), हुमायूं कबीर (मुर्शिदाबाद), एस एम एच मिर्जा (बर्दवान), भारती घोष :पश्चिम मिदनापुर और झाडग्राम: तथा उत्तर 24 परगना के डीएम संजय बंसल शामिल हैं.
चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव संजय मित्र से आदेश को तत्काल कार्यान्वित करने के लिए कहा है. आयोग ने यह भी आदेश दिया है कि राज्य सरकार उसे (आयोग को) आवश्यक सूचना दे कर, हटाए गए अधिकारियों को गैर चुनाव संबंधी पदों में नियुक्ति दे सकती है.
आयोग ने बीरभूम के पुलिस अधीक्षक आलोक राजोरिया के तबादले का आदेश भी दिया है जिन्हें झाडग्राम पुलिस जिले के पुलिस अधीक्षक का कार्यभार संभालने को कहा गया है.गुप्ता ने बताया कि राज्य के स्वास्थ्य सचिव ओंकार सिंह मीना को संजय बंसल के स्थान पर उत्तर 24 परगना जिले के डीएम का जिम्मा सौंपा गया है.
आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारी, एक एडीएम और एक रिटर्निंग अधिकारी का भी तबादला कर दिया है. इस तबादले से ठीक एक दिन पहले, कल मुख्य निर्वाचन आयुक्त की एक पूर्ण पीठ ने राज्य का दौरा किया था.
ममता ने चुनाव आयोग को याद दिलाया कि उसकी सीमाएं हैं. ‘‘आप मुख्यमंत्री की भूमिका में आएं. ममता बनर्जी को सत्ता की परवाह नहीं है.’’ मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘तब आप कानून व्यवस्था पर ध्यान दें लेकिन मैं कोई जिम्मा नहीं लूंगी. मैं आपकी या कांग्रेस की दया पर सत्ता में नहीं आई हूं. ’’ उन्होंने यह भी कहा कि वह जेल जाने के लिए तैयार हैं.
चुनाव आयोग को ‘‘ललकारते हुए’’ उन्होंने कहा ‘‘यह कहने के लिए वह मेरे साथ क्या करेंगे ? ज्यादा से ज्यादा मैं गिरफ्तार कर ली जाउंगी और जेल भेज दी जाउंगी.’’ ममता ने चुनाव आयोग पर कांग्रेस और भाजपा के इशारों पर चलने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार से परामर्श किए बिना तबादले के आदेश दिए गए हैं.
ममता ने कहा ‘‘इस बैठक में मुङो पता चला कि राज्य सरकार से परामर्श किये बिना चुनाव आयोग ने तबादले के आदेश दे दिए और स्थानांतरित अधिकारियों की जगह जिन्हें नियुक्त किया गया है उनके नामों का ऐलान भी कर दिया.’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘मैं चुनाव आयोग का सम्मान करती हूं. लेकिन मैं झुकूंगी नहीं. मैं पूछती हूं, क्या आप कांग्रेस, भाजपा की जीत के लिए उनके कहे को चुपचाप सुनते रहेंगे ?’’ ममता ने बर्दवान जिले में एक रैली में कहा कि जब तक वह मुख्यमंत्री हैं तब तक किसी भी अधिकारी का तबादला नहीं करेंगी. उन्होंने चुनाव आयोग को याद दिलाया कि उसकी सीमाएं हैं.‘‘ आप मुख्यमंत्री की भूमिका में आएं. ममता बनर्जी को सत्ता की परवाह नहीं है.’’
मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘यह एक मीडिया घराने, केंद्र सरकार, कांग्रेस, चुनाव आयोग, भाजपा और माकपा की साजिश है. मैं अकेले लड लूंगी और आपकी साजिश की मुङो परवाह नहीं है. मैं केवल जनता की परवाह करती हूं.’’ ममता ने कहा कि अगर चुनाव आयोग कानून और व्यवस्था को नियंत्रित करता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. ‘‘अगर कोई समस्या होती है तो ममता बनर्जी पर दोष मत मढिये.
या तो ममता बनर्जी कानून व्यवस्था देखेगी या चुनाव आयोग कानून व्यवस्था देखेगा.’’ मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘मैं चुनाव आयोग को चुनौती देती हूं जो मैंने पहले कभी नहीं किया. आप जाएं और नरेंद्र मोदी के राज्य में या उस जगह पर कोई कदम उठाएं जहां से सोनिया गांधी चुनाव लड रही हैं. इसके बाद आप हम पर हाथ रखें.’’