उत्तर प्रदेश में आज से कांग्रेस अपना चुनावी अभियान शुरू कर रही है. इस अभियान की बागडोर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हाथों में है. वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से दिल्ली तक की यात्रा करेंगे. 2500 किलोमीटर तक की इस यात्रा के दौरान वे किसानों और दलितों से जुड़ने का प्रयास करेंगे. इसके लिए रोड शो और जनसंपर्क अभियान की मदद ली जायेगी.
किसान और दलित हैं टारगेट
अपने चुनावी अभियान की शुरुआत में राहुल गांधी किसानों से उनका मांगपत्र लेंगे और उनके साथ ‘खाट पंचायत’ भी आयोजित कर रहे हैं. जिसमें वे किसानों के साथ बातचीत करेंगे. वहीं दलित बस्तियों में उनका जनसंपर्क का कार्यक्रम भी है. इस जनसंपर्क के दौरान दलित के घर भोजन करना भी उनकी रणनीति का हिस्सा होगा. हालांकि वे किस परिवार के यहां भोजन करेंगे यह स्पष्ट नहीं किया गया है. दलित के घर भोजन करने की रणनीति कांग्रेस के लिए कितनी कारगर होगी यह तो आने वाला समय ही बतायेगा.
पार्टी को पुनर्जीवित करने की कोशिश
कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस प्रयास में हैं किसी तरह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मृत्युशैय्या से उठाया जाये. पिछले 27 सालों से पार्टी प्रदेश की सत्ता से बाहर है. 404 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के मात्र 29 विधायक हैं. ऐसे में पार्टी किसी भी तरह प्रदेश में वापसी करना चाहती है. शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर कांग्रेस ने प्रदेश के ब्राह्मणों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है. ब्राह्मण वोटर प्रदेश में हमेशा से कांग्रेस के साथ ही रहा था, लेकिन विगत कुछ वर्षों से वह उससे छिटक गया है.
क्या चलेगा राहुल का जादू
प्रशांत किशोर ने प्रदेश में पार्टी को पुनर्जीवित के मुहिम में राहुल गांधी को नेतृत्व की बागडोर थमायी है. हालांकि राहुल गांधी के व्यक्तित्व में वो जादू नहीं है जो उसके पिता राहुल गांधी और दादी इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व में था. यूपी मिशन की शुरुआत में सोनिया गांधी ने भी रोड शो किया लेकिन शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण वह लीड नहीं ले सकीं. अब पूरा दारोमदार राहुल पर है. अगर वे दलितों को अपने साथ ला सके, जो प्रदेश में कुल मतदाताओं का 20.5 प्रतिशत है, तो कांग्रेस की कुछ सीट बढ़ सकती है. हालांकि सवर्ण वोटर जो प्रदेश में 18-20 प्रतिशत है वह अभी भाजपा के पाले में है, लेकिन शीला दीक्षित इसमें सेंध लगा सकती हैं. यूपी मिशन के दौरान राहुल का रुख आक्रामक होगा, इसके संकेत राहुल ने अपने अमेठी दौरे के दौरान की गयी जनसभा में ही दे दिये थे.