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यूपी: रामपुर में है दुनिया का सबसे बड़ा चाकू, इस जगह कर सकते हैं दीदार, जानें इतिहास और क्या है खासियत

रामपुरी चाकू की सिर्फ जिले की पहचान ही नहीं बल्कि यहां के शिल्प और आजीविका का जरिया रहा है. रामपुर में चाकू का हुनर विश्व के प्राचीन चाकू हुनर में से एक है. बताया जा रहा है कि इस चाकू को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जल्दी ही 'सबसे बड़े चाकू' का सर्टिफिकेट मिल जाएगा.

Lucknow: उत्तर प्रदेश का रामपुर जनपद एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार इसकी वजह आजम खान और उनसे जुड़ा कोई मामला नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा चाकू है. अगर आप भी इसे देखना चाहते हैं कि ये रामपुरी चाकू कितना बड़ा है और इसकी क्या खासियत है तो कभी भी जनपद आ सकते हैं. इस चाकू को रखने के लिए चौराहे का लोकार्पण भी किया गया है. इसे चाकू चौराहा नाम दिया गया है.

रामपुरी चाकू की सिर्फ जिले की पहचान ही नहीं बल्कि यहां के शिल्प और आजीविका का जरिया रहा है. रामपुर में चाकू का हुनर विश्व के प्राचीन चाकू हुनर में से एक है. बताया जा रहा है कि इस चाकू को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जल्दी ही ‘सबसे बड़े चाकू’ का सर्टिफिकेट मिल जाएगा. इसके बाद रामपुर का ये चाकू पूरी दुनिया में और भी लोकप्रिय होगा.

इस चाकू की खासियत के बारे में बात करें तो यह 6.10 मीटर लंबा पीतल और स्टील की मिश्र धातु से बनाया गया है. इस चाकू के लिए 52.52 लाख रुपये की लागत से चौराहा बनाया गया है. चाकू चौराहे पर 16 लाख रुपये से हाई मास्ट लाइट और सौंदर्यीकरण के कार्य कराए गए हैं, जिससे जब लोग यहां आएं तो उन्हें एक सुखद एहसास हो.

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चाकू में कभी नहीं लगेगा जंग

इस चाकू की विशेषता है कि इसमें कभी जंग नहीं लगेगा. मौसम का भी इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. एक वक्त था जब रामपुर के चाकुओं का हर तरफ जिक्र होता था. यहां चाकू बनाने की कला लगभग 100 साल पुरानी है. रामपुरी चाकू की खासियत ये है कि ये बटन से खुलते और बंद होते हैं और इन पर सुंदर नक्काशी होती है. इस वजह से पुराने दौर की हिंदी फिल्मों में विलेन के हाथ में अक्सर रामपुरी चाकू दिखाई देते थे. बाद में चार इंच से लंबे चाकू रखने और इस्तेमाल पर रोक लगने के कारण इसका कारोबार कम होता गया. अब एक बार फिर रामपुरी चाकू को उसकी पहचान वापस दिलाने की कवायद शुरू हो गई है.

रामपुर के नवाब के कारण मिली चाकू को पहचान

कहा जाता है कि रामपुर के नवाब हामिद अली खां ने जर्मनी से एक चाकू मंगवाया. यह बटन दबाते ही खुल जाता था. नवाब ने अपनी रियासत के प्रसिद्ध कारीगर को बुलाकर उससे हूबहू वैसा ही चाकू बनाने को कहा. कारीगर ने जो चाकू गढ़ा, वह जर्मनी के चाकू से कहीं ज्यादा बेहतर था. इसके बाद रामपुर में इसे कारोबार के तौर पर पहचान मिलने लगी. लोगों ने इसे पुश्तैनी कारोबार बना लिया. रामपुरी चाकू के ब्लेड की लंबाई 9 से 12 इंच तक होती थी. पॉलिश्ड, अनपॉलिश्ड, लोहे या स्टील के हत्थे, पीतल के बट, नक्काशीदार ब्लेड और हैंडल वाले सहित कई प्रकार के चाकू रामपुर में बनते रहे. खास बात है कि रामपुरी चाकू भले ही बटन से खुलता हो. लेकिन इसमें स्प्रिंग का इस्तेमाल नहीं होता है. यह पूरी तरह से कमानी पर काम करता है.

चाकू को शिल्प का रूप देने का काम

रामपुर शहर से भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा है. कहा जा रहा है जल्द ही रामपुर में नौ इंच तक के चाकू बनाने का लाइसेंस मिलने लगेगा, इससे एक बार फिर इस कारोबार में इजाफा होगा. आकाश सक्सेना कहते हैं कि रामपुरी चाकू को कभी डर के रूप में जाना जाता था. लेकिन, योगी सरकार ने इस डर के प्रतीक चाकू को शिल्प का रूप देने का काम किया है. सरकार चाकू उद्योग के लिए लाइसेंस से छूट और जीएसटी के दायरे से बाहर रखने के लिए भी विचार कर रही है.

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