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रामपुर कारतूस कांड: सभी 24 दोषियों को दस-दस साल की सजा-जुर्माना, 13 साल बाद आया फैसला, जानें क्या है मामला

रामपुर कारतूस कांड: दो​षी करार दिए गए लोगों को सरकारी धन को नुकसान पहुंचाने, चोरी की संपत्ति को कब्जे में रखने, आपराधिक षड्यंत्र रचने के साथ ही आर्म्स एक्ट में सजा सुनाई गई है. एसटीएफ की लखनऊ टीम ने कारतूस घोटाले से पर्दा उठाने में सफलता हासिल की थी. इसके बाद ये मामल सुर्खियों में आ गया था.

Rampur Cartridge Case: उत्तर प्रदेश के रामपुर में 13 साल बाद बहुर्चित कारतूस घोटाले के आरोपियों को शुक्रवार को सजा का ऐलान किया गया. 13 साल तक चली मामले की सुनवाई और नौ लोगों की गवाही के बाद शुक्रवार को 24 दोषियों को दस-दस साल की कैद और 10-10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि सभी आरोपियों पर सजा समान रुप से चलेगी. सीआरपीएफ हवलदार विनोद कुमार और वीनेश कुमार को आर्म्स एक्ट में सात सात-साल की सजा और दस-दस हजार की सजा सुनाई गई है. कारतूस घोटाला केस में पुलिस, पीएसी और सीआरपीएफ के 20 जवानों के साथ-साथ 24 लोग गुरुवार को दोषी करार दिए गए थे. शुक्रवार को सजा के ऐलान के लिए उन्हें जेल से कोर्ट रूम लाया गया. इन लोगों को सरकारी धन को नुकसान पहुंचाने, चोरी की संपत्ति को कब्जे में रखने, आपराधिक षड्यंत्र रचने के साथ ही आर्म्स एक्ट में भी दोषी करार दिया गया है. एसटीएफ की लखनऊ टीम ने कारतूस घोटाले से पर्दा उठाने में सफलता हासिल की थी. इसके बाद 29 अप्रैल 2010 को एसटीएफ की कार्रवाई में आरोपियों को पकड़ा गया. पूछताछ हुई तो जांच में घोटाले की कड़ियां जुड़ती गईं. चार आम नागरिकों की भी कारतूस घोटाले में संलिप्तता पाई गई. आरोपियों को दोषी ठहराए जाने के बाद एक बार फिर करीब 13 साल पुराना यह केस फिर सुर्खियों में आ गया है.

रिटायर्ड दारोगा यशोदा नंद की गिरफ्तारी से खुले राज

इस प्रकरण की जांच पड़ताल के दौरान एसटीएफ की टीम ने ज्वालानगर रेलवे क्रासिंग के पास 29 अप्रैल 2010 को छापा मारा. घोटाले के सूत्रधार पीएसी से रिटायर्ड दारोगा यशोदा नंद को गिरफ्तार किया गया. उसके साथ सीआरपीएफ के दो जवान विनोद पासवान और विनेश कुमार भी पकड़े गए. एसटीएफ ने तीनों के कब्जे से 1.76 लाख रुपए और ढाई क्विंटल खोखा कारतूस, मैगजीन और हथियारों के पुर्जे बरामद किए. इस मामले में एसटीएफ के दारोगा आमोद कुमार सिंह की तहरीर पर सिविल लाइंस कोतवाली में केस दर्ज किया गया. जांच के क्रम में टीम को यशोदा नंद के पास से एक डायरी मिली.

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यशोदा नंद की डायरी में मिले नाम

जांच पड़ताल में सामने आया कि यशोदा नंद की डायरी में कई जिलों के पुलिस और पीएसी के जवानों के नाम लिखे थे. यशोदा नंद उनसे खोखा और कारतूस खरीदता था. इसके बाद डायरी के आधार पर तमाम आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. 25 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किए गए. कोर्ट ने इस मामले में 31 मई 2013 को आरोप तय किए. इसके बाद केस की सुनवाई शुरू हुई. कोर्ट ने सभी आरोपियों को जमानत दे दी. वहीं केस की सुनवाई के दौरान घोटाले के सूत्रधार यशोदा नंद की मौत हो गई.

नक्सलियों से संपर्क साबित नहीं कर सकी पुलिस

कारतूस घोटाले के आरोपियों पर नक्सलियों से संबंध के भी आरोप लगे. आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने नक्सलियों को कारतूस की सप्लाई की. हालांकि, पुलिस आरोपियों और नक्सलियों के बीच के संपर्क को साबित करने में नाकाम रही. बचाव पक्ष की ओर से सभी आरोपियों को झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया. अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य और अमित कुमार ने केस की पैरवी करते हुए 9 गवाह पेश किए. अभियोजन ने तर्क दिया कि एसटीएफ ने मौके से आरोपियों की गिरफ्तारी की. माल भी बरामद किए गए. यशोदा नंद अलग-अलग जिलों में तैनात आर्मरों से खोखा-कारतूस खरीदकर नक्सलियों को सप्लाई करता था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद स्पेशल जज (ईसी एक्ट) विजय कुमार ने सभी पर सरकारी संपत्ति चोरी करने, चोरी का माल बरामद होने और षड्यंत्र रचने की धाराओं में दोष सिद्ध किया.

इन लोगों को सुनाई गई सजा

रामपुर कारतूस कांड में पुलिस और पीएसी के जिन 20 जवानों को सजा सुनाई गई है, उनमें प्रयागराज के थाना सराय इनायत के ग्राम सुधनीपुर निवासी दिनेश कुमार है. इसके अलावा कोर्ट ने बिहार पटना के थाना भदोह महादेवगढ़ निवासी विनोद पासवान, मुरादाबाद जिले के मझौला थाना के धीमरी निवासी विनेश, कानपुर नगर के थाना घाटमपुर के वीरपुर निवासी वंशलाल, मऊ के थाना सराय लखन के रेकबार डीह निवासी अखिलेश पांडेय, देवरिया जिले के थाना बिरियारपुर बिशनुपुरा निवासी राम कृपाल सिंह, शामली के थाना भवन के जलालपुर निवासी नाथीराम सैनी, गोरखपुर के थाना हरपुर बुधहट के सुगौना निवासी राम कृष्ण शुक्ल, हरदोई के थाना कोतवाली नगर के चांद बेहटा निवासी अमर सिंह और उन्नाव के थाना फतेहपुर चौरासी के विजीदपुर निवासी बनवारी लाल को सजा सुनाई.

इनके अलावा बिहार के सिवान जिले के गुढनी थाना के सोहगप पूरनपट्टी निवासी राजेश कुमार सिंह को भी सजा सुनाई गई. साथ ही, देवरिया के थाना तटकुलवा के हरैया निवासी राजेश शाही, कानपुर देहात के शिवली थाना के देवनगर वार्ड सात निवासी अमरेश कुमार, मऊ के थाना रानीपुर के उमती निवासी विनोद कुमार सिंह, जौनपुर के थाना बक्सा के शेखपुरा निवासी जितेंद्र सिंह, बस्ती के थाना लालगंज बनकटी के बजेटा निवासी सुशील कुमार मिश्र, चंदौली के थाना खुरहजा बबुरी के रघुनाथपुर निवासी ओम प्रकाश सिंह एवं थाना कोतवाली के विहिवा कला निवासी लोकनाथ, चंदौली के विहिवा कला निवासी लोकनाथ, फतेहपुर के थाना बकेवर के किशनपुर निवासी रजयपाल सिंह, और चंदौली के भंडवा थाना के पई निवासी मनीष कुमार राय को दोषी करार दिए जाने के बाद सजा सुनाई गई.

इनके अलावा चार आम लोगों को भी इस मामले में सजा सुनाई गई. इसमें बिहार के रोहतास के डेहरी आन सोन के तेंदवा थाना के मुरलीधर शर्मा, मऊ के हलधर थाना के अगडीपुर गांव निवासी दिलीप कुमार एवं आकाश और गाजीपुर जिले के थाना बिरनो के बद्दूपुर गांव निवासी शंकर शामिल है.

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