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Old Pension News: पुरानी पेंशन का मुद्दा तय करेगा पांच राज्यों में सत्ता का रास्ता-विजय कुमार बंधु

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन निर्णायक भूमिका में होगी. इस चुनाव में वोट फॉर ओपीएस का मुद्दा प्रमुख होगा. क्योंकि दो राज्यों में पुरानी पेंशन बचाने और तीन राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली के लिये कर्मचारी और उनके परिवार वोट डालेंगे.

लखनऊ: पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में महत्वपूर्ण है. इस बार चुनाव में सरकारी कर्मचारी वोट फॉर ओपीएस का नारा लगा रहे हैं. एनएमओपीएस (NMOPS) के बैनर तले 1 अक्टूबर को दिल्ली में बड़ी रैली करके कर्मचारियों-शिक्षकों ने अपने मनसूबे बता दिये थे. अब पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा हो गयी है. इनमें दो राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पेंशन बहाल हो चुकी है. जबकि तीन अन्य राज्यों मिजोरम, तेलंगाना, मध्य प्रदेश के कर्मचारी इसका इंतजार कर रहे हैं.

एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने बुधवार को प्रभात खबर यूपी डिजिटल से विशेष बातचीत की. उन्होंने कहा कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाल की है. कर्नाटक सरकार भी इस पर काम कर रही है. केवल पांच राज्यों के विधानसभा में ही नहीं, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पुरानी पेंशन का मुद्दा अहम रहेगा. पांच राज्यों होने वाले विधानसभा चुनाव में पुरानी पेंशन निर्णायक भूमिका में होगी. इस चुनाव में वोट फॉर ओपीएस का मुद्दा प्रमुख होगा. क्योंकि दो राज्यों में पुरानी पेंशन बचाने और तीन राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली के लिये कर्मचारी और उनके परिवार वोट डालेंगे.

विजय कुमार बंधु ने कहा कि दिल्ली में लाखों की संख्या में देश भर से कर्मचारी इकठ्ठा हुए थे. यह अभी तक की सबसे बड़ स्वत:स्फूर्त रैली थी. इसमें नॉर्थ ईस्ट से लेकर राजस्थान, गुजरात, कश्मीर से लेकर दक्षिण भारत के कर्मचारी शामिल हुए थे. यदि राजनीतिक दल अभी भी नहीं चेते तो उन्हें कर्मचारी अपने वोट से जवाब देंगे. पुरानी पेंशन कर्मचारियों के बुढ़ापे की लाठी है.

कर्मचारियों ने एकजुटता दिखायी तो लोकसभा चुनाव से पहले होगा फैसला

विजय बंधु ने कहा कि राज्यों के कर्मचारियों ने अपनी एकजुटता दिखाई तो पूरी उम्मीद है कि पूरे देश में पुरानी पेंशन लागू होगी. इन्हीं राज्यों से देश में पुरानी पेंशन का रास्ता खुलेगा. उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन मुद्दे पर तमाम संगठन होते थे. लेकिन कोई शिद्दत से नहीं लड़ा. अटेवा एनएमओपीएस इस मुद्दे पर शिद्दत लड़ा और सफलता पायी. इससे लोगों के बीच संगठन के प्रति विश्वास गया कि हमारा नेतृत्व हमारे मुद्दे के लिए ईमानदारी से संघर्ष कर रहा है. उसी का प्रदर्शन 1 अक्टूबर को दिल्ली में था. इससे पहले चार राज्य में पेंशन बहाल हो चुकी है. लोगों के अंदर विश्वास पैदा हुआ की संघर्ष से सफलता मिलेगी.

एक बटन दबाने से मिलेगी बुढ़ापे की लाठी

अब संघर्ष नहीं सिर्फ जाना है बटन दबाना है. अगर एक बटन दबाने से बुढ़ापे की लाठी मिल जाती है तो इसे आसान क्या होगा. यह लोग समझ रहे हैं और तैयार हैं. लोग अपना ही नहीं अपने परिवार का, अपने शहर का, अपने जाने वालों का भी वोट डलवाएगा. उन्होंने कहा कि एनपीएस और निजीकरण भारत जोड़ो का जो अभियान चलाया था, इसका बड़ा असर पड़ेगा. शिक्षक कर्मचारी अब निर्णायक स्थिति में आ गया. वह तय करेगा कि सरकार किसकी बनेगी, किसकी बिगड़ेगी.

शिक्षक कर्मचारी तय करेगा किसकी सरकार बनेगी

एएमओपीएस अध्यक्ष विजय बंधु ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है. हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, उत्तर प्रदेश में वोट फॉर ओपीएस का नारा लगा था. पहले पोस्टल बैलेट का एक विशेष पार्टी के अलावा किसी को कभी लाभ नहीं मिला. लेकिन वोट फॉर ओपीएस के बाद से पोस्टल बैलेट में बदलाव आया है. शिक्षक कर्मचारी तय कर देगा कि किसकी सरकार बनेगी.

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सरकार उसी की बनेगी जो पुरानी पेंशन देगा

विजय बंधु ने कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ जहां ओपीएस लागू है वहां कर्मचारी घर से अपना वोट डाल देगा तो पेंशन फंस सकती है. कर्मचारी को अपना वोट डालना है, अपने लोगों को जागरूक करना है, ज्यादा से ज्यादा उस पक्ष में खड़ा करना है. यदि ऐसा नहीं किया तो पुरानी पेंशन नहीं रहेगी. इसके अलावा निजीकरण, सरकारी संस्थाओं, विभागों के पदों के प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ भी लोगों में गुस्सा है. यह मुद्दा भी ज्यादा प्रभावित और कारगर होगा. शिक्षक कर्मचारी का नारा है सरकार उसी की बनेगी जो पुरानी पेंशन देगा.

सत्ता वाले निगेटिव विपक्षी पॉजिटिव

उन्होंने कहा कि कई पार्टियां अपने घोषणा पत्र पुरानी पेंशन का मुद्दा ले रही हैं. अपना वचन पत्र दे रही हैं. अपनी सभाओं में पुरानी पेंशन लागू करने के लिये बोल रही है. लेकिन पहले लोग, नेता, पार्टियां पुरानी पेंशन नाम नहीं लेती थीं. यह अटेवा एनएमओपीएस और साथियों का संघर्ष है की हमारी चर्चा हो रही है. विजय बंधु ने कहा कि कोई पार्टी पॉजिटिव बोल रहा है तो जो सत्ता में है वह नेगेटिव बोल रहा है.

बुढ़ापे में सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीने के लिये ओपीएस

एनएमओपीएस की अपील है कि अपनी दवाओं, अपने बुढ़ापे में सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीने, जीवन के अंतिम दौर में जीवन सुखद जी सकें उसके लिए वोट दीजिए. इस बात पर फोकस करना होगा कि बुढ़ापे में कोई काम नहीं आता. सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन काम आती है. विजय बंधु ने बताया कि हिमाचल में पुरानी पेंशन लागू हो गयी है. वह 1770 रुपये नई पेंशन पाने वाला अब 36000 रुपए से अधिक पुरानी पेंशन पा रहा है. इसलिये कर्मचारियों को अभी तक करना है कि 1770 के लिये सरकार चाहिए या 36000 वाली सरकार चाहिए. NMOPS के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा निर्णायक साबित होगा. यदि कर्मचारी इस बार चूके तो वह अपने बुढ़ापे की लाठी को खो देंगे. हिमाचल प्रदेश में जिस तरह से 1770 रुपये पेंशन पाने वाले कर्मचारी को पुरानी पेंशन बहाली के बाद 36 हजार रुपये अधिक पेंशन मिलने लगी है.

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