लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा के हाईवोल्टेज चुनाव के आगे बढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक दलों के बीच परस्पर विरोधी बयानों की भाषा भी कई मौकों पर संस्कार से अछूती नजर आयी. आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरआत तो शालीनता भरी रही और राजनीतिक दलों ने विकास, भ्रष्टाचार, नोटबंदी और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया, लेकिन जल्द ही प्रचार के शोर में बदजुबानी भी घुलती गयी और बात व्यक्तिगत हमलों तक पहुंच गयी.
अखबारों में सुर्खियां बटोरने की कोशिश में नेताओं ने एक-दूसरे को तरह-तरह की उपमाएं दीं और कई बार तो यह काम नाम लेकर भी किया गया. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) मुखिया लालू प्रसाद यादव ने रायबरेली में अपनी जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी की भाव-भंगिमाओं और हाथों की जुम्बिश को लेकर निहायत आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं. भाजपा ने उनके भाषण की सीडी चुनाव आयोग के पास भेजकर कार्रवाई की मांग की है.
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बसपा को ‘बहनजी सम्पत्ति पार्टी’ बताये जाने और बसपा प्रमुख मायावती द्वारा इसका बेहद गुस्से में जवाब दिये जाने को भी मर्यादा की सीमा लांघने जैसा माना गया. मायावती ने मोदी को ‘नेगेटिव दलित मैन’ करार देते वक्त ऐसे अल्फाज का इस्तेमाल किया, जो किसी प्रधानमंत्री के लिये प्रयोग नहीं किये जाते.
अपने प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर लगातार हमले कर रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी उन्हें ‘शोले फिल्म का गब्बर सिंह’ की संज्ञा दे डाली. चुनावी खींचतान के बीच सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को ‘आतंकवादी’ करार देते हुए उन पर मतदाताओं को आतंकित करने का आरोप लगाया. भाजपा ने इसे मानसिक दिवालियेपन का परिणाम बताया.
चुनाव में मुख्य रुप से अपने विकास कार्यों के बल पर ही प्रचार कर रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘गुजरात के गधों’ वाली टिप्पणी करके एक नई बहस छेड़ दी. हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन बात बहुत दूर तलक जाती देखी गयी.
अखिलेश ने एक चुनावी सभा में कहा कि वह महानायक अमिताभ बच्चन से गुजारिश करेंगे कि वह ‘गुजरात के गधों’ का विज्ञापन मत करें. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने अखिलेश की इस टिप्पणी को गुजरात का अपमान करार दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘श्मशान और कब्रिस्तान’ वाली टिप्पणी पर भी खूब चर्चा और आलोचना हुई.